बट वृक्ष के नेचे बैठकर सूर्य डूबने से पूर्व इस मंत्र का तीन हजार जाप समाप्त करेँ और उसी स्थान पर तेल लेकर एक हजार मंत्र से हवन करेँ इससे चन्द्रिका यक्षिणी प्रसन्न होती है। मंत्र-ॐ ह्रीँ चन्द्रिका स्वाहा
यह एक दिवसीय साधना है।शमशान मेँ करने पर जितने भी शमशानवासिनी है,वह वश मेँ होते है।रात्री कालिन साधना है।दिन, वार,शुभ,अशुभ और तिथि देखने का कोई जरुरत भी नही है,जिस दिन मन किया उसी दिन साधना करने पर सफलता हाथ लगता है।वीर बेताल(जिन्न), बीर बेताली(जिन्नानी),भूत ,प्रेत,भूतनी,डाकनी,हाकिनी,लकनी,शाकनी, मसान, भैरव भैरवी,परी,यक्षिणी और अप्सरा इन मेँ से कोई एक दर्शन देता है।इस साधना मेँ ए तय नही है की कौन प्रथम दर्शन देगा,जो भी दर्शन देगा वह हर मनोकामना पूर्ण करने मेँ समर्थ होगा।अगर प्रथम जो भी दर्शन दे और उस्से वारदान पाने के बाद,और किसी का भी दर्शन की चाहत जागे तो उसी रात वह भी पूर्ण होगा।इसमेँ एक रात मेँ पूरी जिंदिगी के जितने सपने है और इच्छा है वह एक रात मेँ सत्य होँगे और जितने बडे खुआइस है, वह भी मिनटो मेँ पूरे होँगे।साधना करेने के लिए हिम्मत और हौसला चाहिए।डर के आगे जित है।साधना करने के लिए प्रथम किसी मंदिर मेँ जाकर मंत्र को पाँच सो जाप करके सिद्ध कर ले।कुछ चंदन लकडी का चूर्ण चाहिए और कुछ तिल चाहिए।शमशान मेँ प्रथम कुछ आम के लकडी या फिर जो भी लकडी मिले जामा करके उस मेँ आग लगाए और सामने बैठ कर धूप जालाकर एक केले मेँ गाढ दे।तिल और चंदन लकडी को मिलाकर, आग मे अहुती देते जाए,कुछ ही मिनटो मेँ एक वीर बेताल, वीर बेताली या कोई हो प्रकट होगा और वरदान माँग ले। अगर और किसी का दर्शन की चाहत है तो आसन से उठे नही फिर से मंत्र जाप करते हुए अहुति देते जाए फिर और कोई प्रकट होगा,इस तरहा एक रात मेँ एक के बाद एक को प्रकट कर के हर इच्छा को सच कर साकते है। मंत्र-ॐ क्रौँ डोँ म्रोँ
इस मंत्र से सभी प्रकार का वशिकरण किया जा साकता है।घर पर अगर कई भी आप का बात नही मनता या पडोस के लोँग आप से बात नही करते तो ए मंत्र आपके लिए है।यह मंत्र स्वयं सिद्ध है।अगर मंत्र सिद्ध करने के बाद(मंत्र सिद्ध है,फिर भी)प्रतिदिन जाप करने से, आप मेँ वह शक्ति आजाईगी की देखने भर से सामने खडा इंसान वशिभूत होजाएगा।नौकरी के स्थान पर आपके मालिक आपके उपर हमेसा मेहरबान रहेँगे और साथ मेँ काम करने बाले आपके साथी हमेसा आपसे मिठी मिठी बात करेँगे।किसी को देख कर मन ही मन मंत्र जाप किया जाए तो वह तूरन्त आपके वशिभूत होजाएगा।आप सभी ने CHINA VS INDIA चलचित्र देखा होगा यह मंत्र प्रतिदिन सर्फ 15 मिनट जाप करके देखे और आप उस चलचित्र के खलनायक के तरहा, देख कर, किसी को भी, वशिभूत कर के, कुछ भी करबा साकते है। आज कल के बेटा बेटी अपने माँ बाप को घर से निकाल देते है।इस तरहा का घटना आज कल हर गाँ और शहर पर देखने को मिलजाएगा।अगर कोई बूर्जूग ए दिन ना देखे तो ए मंत्र प्रतिदिन जाप करेँ, ताकी उनके परिवार के लोँग उनका मानसम्मान करेँ और मूत्यु तक पालन पोष्ण करेँ।ए मंत्र को सिर्फ जाप करना है।इसमेँ देवी देवता का भी दर्शन होँगे और स्वर्ग प्राप्ति भी होगा।देवी देवता का दर्शन चाहते है तो मंदिर और घर पर देवी देवताओँ के चित्र को देख कर ए मंत्र जाप करेँ।कुछ दिनोँ मेँ वह देवी देवता किसी भी रुप मेँ आकर दर्शन देँगे॥पहले दिन सिर्फ पाँच सो मंत्र जाप करना है फिर प्रतिदिन जितना चाहे उत्तना जाप कर साकते है,कम से कम एक माला जाप करना चाहिए॥ए मंत्र कामाक्षा तंत्र से लिया गया है। मंत्र-ॐ म्रों
माया करना एक अद्भूत विद्या है।ए विद्या का जिक्र रामयण से लेकर महाभारत काल तक हमरे ग्रंथ मेँ वर्णन मिलता है।महाभारत मेँ माया से मायामहल निमार्ण का एक कहानी है।माया विद्या से कुछ भी किया जा साकता है,रुप परिवर्तन कर लेना,शरीर का आकार विशाल कर लेना,रेगिस्थान मेँ तालाब सुष्टि कर लेना ,अदुश्य हो जाना,अकाश मेँ विचरण करना और जल पर चलना,या जल के अंदर घंटो घंटो रहना,ए सब माया विद्या के अंतर्गत आता है।माया से किसी को भी भ्रमित् किया साकता है।जाहा पर कुछ ना हो वाहा पर कुछ भी देखाया जा साकता है,जेसे बन,फल या बहुत से पशु पक्षी ।देवी,देवता या असुर हो इस विद्या मेँ खूब महीर थे।अपनी जीवन का भी रक्षा अति असानी से भी किया साकता है,अपने शत्रु को भूत प्रेत का भ्रम देखा कर उसका घर बेचने को बेबस किया जा साकता है।इस विद्या मेँ लाभ अनेक है।लेखने बैठे तो रात से सुबह हो जाएगा।इस विद्या का साधना करने के लिए, अपने पर और अपने मंत्र साधना पर विश्वास होना जरुरी है ,बर्ना इसमेँ सफलता के स्थान पर विफलता हाथ लगता है।सुबह या रात्री मेँ स्नान करने बाद देवा दी देव महादेव को फुल और बेल पत्र दे कर पुजा करने के बाद सर्फ इस मंत्र को जाप करना है।21 दिन का साधना है। मंत्र-ॐ महामाया, माया यक्षिणी माया सिद्धि देही देही भगवान्नाज्ञापयासि ॐ ह्रीँ ह्रीँ नमः स्वाहा॥ प्रतिदिन दस हजार जाप करना है।साधना के अंत मेँ यक्षिणी दर्शन देगी और मनोकामना पूर्ण कर चली जाईगी।
यह मंत्र हर समस्याएँ दूर करता है।बगलामुखी पहले कृत्या रुप मेँ पुजी जाति थी।मंत्र जाप से ही समस्त समस्याएँ दूर होता है।शत्रु के सामने मन ही मन ए मंत्र जाप करेँ,शत्रु का स्तम्भन होगा और आपके बात ध्यान से सुनेँगा एवं आपके बात पर अपत्ती नही करेँगा।कोट कचरी या फिर जीवन मेँ कई भी समस्या आए तो माँ भगवती बगलामुखी का ए मंत्र पवित्र होकर कुछ माला जाप करेँ,जीवन का हर कष्ट का निवारण होगा।ध्यान रहे ए मंत्र मेँ -सर्वदुष्टानाँ-स्थान पर शत्रु का नाम भी ले साकते है,जिसको कष्ट देना चाहते है या फिर मूत्यू देना चाहते है। ।मंत्र-ॐ ह्रीँ बगला मुखि सर्व दुष्टानाँ वाचं मुखं पदं।स्तम्भय जिँव्हा कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीँ ओँ स्वाहा।।
जमीन विवाद,धन दौलत का विवाद या फिर कोट कचरी का मामला जीतना जालदी हो, नीपटारा हो जाए उतना ही अच्छा है ।अगर ए सब मामला श्रीघ्र ही दुर किया ना जाए तो एक पक्ष का मौत होना तय है।ऐसा दिन देखने से पर्व शत्रु को पराजय कर अपने काबू मेँ कर लेने से, स्वयं ही इस मामला से दुर हट जाता है,इसमे दोनोँ पक्ष मेँ शांति का महोल बन जाता है और दोनो या दोनो परिबार आपने आपने रास्ते खुशि खुशि रहने लागते है।शत्रु अगर ताकतवर हो तो उस के उपर विजय पाना ना मुमकिन है।इस समय एक ही उपाए होता हे शत्रु खूद ही इस मामले से हट जाए। इस के लीए ए उपाए आजमाए।काही से एक चार कोने वाला, एक पथर का जुगाड कर ले और उसमेँ हरिताल से ए मंत्र लिखे-अभिजीत अपराजीत अमुकस्य जय भवतू।अमूक मेँ अपना नाम लिखे।उसके बाद उस पथर को किसी नीर्जन स्थान पर उलटा कर रख दे और प्रतिदिन सुबह और संध्या पथर को पुजा कर के एक माला मंत्र जाप करेँ।तीन दिन मेँ शत्रु हार मानेगा और आपके जीवन से दुर चला जाएगा। मंत्र-ॐ नमो अभिजीत अपराजिताये,अमूकने अमूके जयं भवतू,जयं भवतू,जय भवतू नमः॥(अमूकने मेँ शत्रु का नाम और अमूके मेँ अपना नाम बोले)
हर मनोकामना और हर इच्छा अपने मूताविक कुछ दिनोँ मेँ सत्य कर पाएंगे।ए साधना करने पर वह सपना सत्य होगा जो आप चाहते है।उदाहरण-कर्ज मुक्ति मेँ सफलता,नौकरी मेँ सफलता,गीत गाने मेँ हर समये काम पाने मेँ सफलता , अभिनेता,अभिनेत्री या फिर कई भी इच्छा हो सिर्फ सिर्फ कुछ दिनोँ मेँ वह पा लेँगे।अगर मन मेँ दूढ निशचय करके ए सिद्धि करने पर , जो आप चाहते है वह मीलेगा ही मीलेगा।यह मंत्र हर बार परिक्षण मेँ सफल रहा है।जो भाग्य मेँ नही होता उसी को साधना द्धूरा अपना भाग्य बना लेना ही, मंत्र, तंत्र ,यंत्र कहलता है।सिद्धि करने के लीए कुछ समय प्रतिदिन चाहिए।सुबह और संध्या मेँ नहाकर अपनी पुजा घर मेँ कई भी देवी देवता के चित्र के सामने बैठ जाए और धूप दीप देकर आँख बंद के सिर्फ 15 मिनट मंत्र जाप करेँ। मंत्र-ॐ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय मम अमूकं अभिलाष पूर्ण कुरु कुरु ॐ॥ (अमूक स्थान पर अपनी इच्छा बोले)
भूत, प्रेत, देवी, देवता, यक्ष, यक्षिणी और बेताल या कई भी आत्मा हो, उनको जला कर रख किया जा साकता है।ए मंत्र भूत डामर तंत्र किताब मेँ है।दुनिया मेँ बहुत से घर और स्थान है, जो भूतिया है। अगर किसी को लगता की वह घर या स्थान को भूत प्रेत से मुक्ति दिलाई जाए तो ए मंत्र उस स्थान या घर पर जाप करते जाए, कुछ समय मेँ ही, वह स्थान या घर रहने योग्य हो जाएगा वहा के सारे भूत प्रेत भाग जाएंगे या जल कर रख हो जाएंगे। इस मंत्र को 30 हजार जाप करके सिद्धि कर ले तो बाद मेँ सिर्फ जाप करने से ही भूत प्रेत का अंत हो जाएगा।अगर किसी को ए मंत्र सिद्धि नही है, वह चिँता ना करेँ सीधे मंत्र जाप करेँ और लाभ पाए। मंत्र- ॐ वज्र-ज्वालेन हन-हन सर्वभूतान हूँ फट्
कृत्या साधना, एक उच्चकोटि का साधना है।शत्रु नाशक, हर आपद नाशक और जो भी आपद बिपद सब का नाश होता है।कारोबार और किसी भी चिज पर वाधा आ रही हो तो कृत्या का उपासना से हर वाधा दुर होता है।कृत्या सिद्धि होने पर धन की कमी नही रहता है।देवी साधक का रक्षा के साथ उसका परिवार का भी रक्षा करती है।जीसको कृत्या का कुपा प्राप्त हो उसका अपमूत्यु नही होता है।कृत्या साधना सिद्धि होने पर शत्रुओँ पर विजय प्राप्त करने वाला और मन से ,तान से अतिवालसाली हो जाता है।देवी को जो काम करने को बोला जाए वह खुशि खुशि उस काम को कर देती है,चाहे वह बुरा काम हो या अच्छा काम हो।साधक जीस तरहा का नौकरी या जीस वश्तू का चाहत करता है,देवी उस मनोकामना को मिनटो मेँ पुर्ण कर देती है।देवी के कुपा प्राप्ति के बाद साधक भोगविलास का जीवन जीने के बाद ही, कृत्या देवी के शरीर मेँ विलिन हो जाता है।साधना करने के लीए साधक कला वस्त्र का उपयोग करेँ और दक्षिण देशा के और मुँह कर बैठ जाए।आसन मेँ, काले कपडा ले।कडवे तेल का एक दीपक जालाकर अपने आगे रखे।साधना पुर्ण होने तक बह्मचर्य का पालन करेँ।साधना 21 दिन चालेगा।जब साधना पुर्ण होगा तब देवी दर्शन देगी।। मंत्र-ॐ कृत्या सर्व शत्रुणाँ मारय मारय हन हन ज्वालय ज्वालय जय जय साधक प्रिये ॐ स्वाहा॥
"देवी गजवाइणी हर मनोँकामना पुर्ण करने के साथ ही हर दुख हरण कर लेती है।देखने मेँ चंद्रमा के समान कांतिवाली, लाल वस्त्र और अभूषण धारणी स्थूल व उन्नत स्तनोँवाली है।इनका पुजा तामासिक रुप मेँ किया जाता है।तामासिक होने पर भी ए उग्र रुप मेँ दर्शन नही देती है।देवी अपने भक्त को सुंदर और मनोहर रुप मेँ ही दर्शन देती है।इनका साधना वही कर साकता है जो मछली का भोग करता हो,क्यो की इस देवी का मुख्य भोग मछली है।साधना भी मछली भक्षण कर के किया जाता है। साधना गुरुवार के दिन से ही करना है।इस देवी का पुजा का दिन भी गुरुवार है।रात को धूप दीप दे कर,अपनी आसन मेँ विराजमान हो जाए।भोग मेँ एक मछली अपने मुख के सामने ,एक पत्ता मेँ रख दे और खुद भी एक मछली का भक्षण कर ले।प्रतिदिन 31 माला जाप करना है।21 दिन तक ए साधना करना है।ध्यान रहे ए देवी सात दिन मेँ भी दर्शन दे साकती है,जब भी देवी आए तो आसन दे और फुलोँ से स्वागत करेँ फिर रखी हुई मछली देवी को दे।मछली का भेँट लेने का बाद जब वह वारदान माँगने को कहे तो कुछ भी माँग ले।देवी खुश होने पर इस दुनिया का हर असंभव को भी संभव कर देती है ॥ मंत्र-ॐ हौँ लूं हूं चामुणडायै गजवाइणी हुं ह्रीँ ठः ठः।।
छाया पुरुष का साधना करना मतलव अपने को पुजा करना है।हमरे एक हिँदु मंत्र है ॥सोSहम॥ देखने मेँ एक मामूली सा ,मंत्र लगता है, पर है नही।ईस मंत्र का अर्थ 'मेँ' दुसरा अर्थ मेँ ही सबकुछ हु।ईस मंत्र से अगर छाया पुरुष का साधना करना हो तो एक आईना आपने सामने रखे और आपना प्रतिबीम् को देखना है।आईना को ईस तरहा रखे की आपना मुख या पुरा शरिर देखाई दे।आईना के सामने बैठ कर अपने प्रतिबीम् को देख कर मंत्र का जाप करना है।प्रतिदिन एक घंटा ए प्रक्रिया करते रहेने से,आईना के प्रतिबीम मेँ जान आ जाएगा, फिर धीरे धीरे ए हिलना डोलना चालू कर देगा।कुछ दिन और बित जाने पर आपका छाया आईना से बाहर आ कर आप के सामने खडा हो जाएगा पर उस से कुछ बातचित नही करनी है,अगर वह आपसे बात करे तो भी कुछ कहना नही है,चूपचाप मंत्र का पाठ करते रहना है,जब वो कहे मुझसे किया चाहते हो, तो ही बात करे और अपना शर्त, उसके सामने रखे पर ध्यान रहे वह जब आपके सामने शर्त रखे तो कुछ भी बोल कर टाल दे और किसी भी किम्मत पर उसका शर्त कभी भी ना माने।वह छाया जो आपका है, इस तरहा आपका वश मेँ हो जाएगा और आपका हर आदेश का पालन करेगा।जब भी कुछ काम हो उसको कहे वह तुरन्त वह काम कर देगा।खाना से लेकर धन तक कुछ भी लाने को कहे, वह ला के देगा।इस छाया पुरुष को कभी भी गलात काम के उपयोग मेँ ना लाए।
भैरव के अनेक रुप है।काल भैरव को ही तंत्र किताब मेँ आठ भैरव मेँ विभाजन किया गया है,पर आज एक ऐसा भैरव का जिक्र करना चाहता हु, जिसका किताब मेँ, नाम तो किया पुजा विधि भी नही मिलेगा।मनोभैरव तीन नेत्र वाले एक देव है।इनका अगर कुपा, किसी को मील जाए तो वह ब्रह्मा तुल्य हो जाता है।वाक सिद्धि,प्राप्ति सिद्धि यू कहे तो अष्टो सिद्धि का सिद्धि मीलता है।ए मंत्र कुछ घंटे मेँ अपना असर देखना सूरु करता है।प्रतिदिन सर्फ मंत्र का जाप करने से भी लाभ दो गुना मीलता है,धन लाभ,नौकरी प्राप्ति या मन मेँ जो भी ईच्छा है वह सत्य होने लगते है।अगर साधना किया जाए तो भैरव के दर्शन होते है और भैरव साधक के प्रोतेक ईच्छा को पुर्ण करते रहते है।साधना करने के लीए रात दस बजे से धूप दीप जाला ले और बटुक भैरव को जो दिया जाता है इसको भी वेसे भोग देना है।रोज भोग देना है और धूप दीप भी जलाना है।मंत्र को एक हजार जाप 21 दिन जाप करना है।जब मनोभैरव आए तो अपने ईच्छा बोल दे। मंत्र-ॐ वज्र मनोभैरवाय सर्व सिद्धि प्रदाय प्रदाय सर्व कार्य साधय साधय सर्व मनोरथ सिद्धि सिद्धि हुं हुं क्रीँ क्रीँ फट॥
भगवान महादेव और माँ गौरी से कुछ भी काम बोल व पुरी हो जाए।भोले बाबा तो भोले है, एक बेल के पत्ते से भी खुश हो जाते है।कुछ भी काम करने जाते है पर वह काम विगड जाता है या कोई भी अच्छे नौकरी पाना चाहते पर वह मील नही रहा हो या कोइ लडकी या लडका का विवाह के समय हो गया है पर रिसता तो आता है पर टुट जाता है या भरी भरकम कर्ज हो पर उसको चुकता कर नही पा रहे है तो प्रभु और माँता के शरण मेँ जाए तो फिर कोई भी काम हो महादेव और माँ पार्वती के कुपा से वह विगडता हुआ काम भी बन जाता है।ए मंत्र को सिद्धि करने बाद कुछ भी, काम मेँ पुर्ण सफलता मीलता है।करना किया है,घर पर महादेव और महदेवी दोनोँ एक साथ हो, इस तरहा का चित्र रख कर दीप धूप और उनको जो भोग लगता है दे,इसके बाद महादेव और महदेवी के चित्र के सामने वैठ जाए और मंत्र को दस हजार जाप करे,जाप परी होने पर एक सो आठ वार अहुति दे।इताना करने बाद मंत्र सिद्धि होता है। जब कोई भी काम हो उसमेँ पुर्णता प्राप्त करने चाहते है तो सिर्फ मंत्र जाप से वह काम पुर्ण हो जाएगा।अमुक स्थान पर काम का नाम ले । मंत्र-ॐ ह्रीँ श्रीँ ह र गौरी शंकराय मम अमुकं कर्म कुरु कुरु स्वाहा।।
इस मंत्र को कागज मेँ एक सो आठ खंड मेँ मंत्र लिख कर, मंत्र पढ कर एक एक कर अहुती दे।तब मंत्र जीवित हो कर काम करने लगता है।जब भी अवश्यक हो तब एक हजार मंत्र जाप कर के और एक सो आठ खंड कागज मेँ मंत्र लिखकर अहुती दे।तब स्त्री, पुरुष,शत्रु और कोई भी हो मोहित हो कर आप के हार काम करेगा और हार बात को मानने लगता है।कुछ भी कहने पर भी बुरा नही मान्नता है।कुछ भी आदेश देने पर खुशि खुशि उस आदेश को पालन करता है।इस मंत्र मेँ जीस स्थान पर अमुक लिखा है उस स्थान मेँ जीसको मोहित वश करना है, उस व्यक्ति का नाम लेना है। इस मंत्र से हर स्थान पर विजय प्राप्त होता है। मंत्र- ॐ नमो अरुद्दुति अश्वथनी अमुक छवि फट स्वाहा।
जो भी इसको सिद्ध कर ले वह कभी भी किसी के आगे हरेगा नही।100लोग भी उसका कुछ उखाड नही साकते।किसी भी द्रब्य का चीन्ता नही रहता। पल भर मेँ हर मनोकामना पुर्ण हो जाता है। मंत्र - ॥ॐ वश्यं ॐवश्यं वीर बेताल भूतनथाय मम वश्यं हुं फट॥
देवी, देवता,भूत,प्रेत,यक्षिण का साधना करना हो या किसी इन्सान को अपनी वश मेँ करना हो लगभाग इस मंत्र से असानी से किया जाता है।जाप करके सिद्धि करने के बाद जो बाताया वह सब काम कुछ पाल मेँ किया जा साकता है। मंत्र-ॐ ह्रीँ रक्तचामुंडे कुरु कुरु अमुकीँ मेँ वशमानय स्वाहा
बहुत से रोग है, जो डाँक्टर से ईलाज करने पर भी कुछ लाभ नही होता।रोग का निवारण अगर नही हो पा रहा है तो इसमेँ डाँक्टर का दोष है या उसके दीया हुआ दवा का। खैर पुराने से पुराने कुछ भी बीमारी हो ए मंत्र जाप करने से दुर हो जाता है। हर दिन जाप करेँ रोग से मुक्ति पाए। मंत्र-ॐ नमो भगवती मूतसंजीवनी मम शान्ति कुरु कुरु स्वाहा
बटुक भैरव के इस मंत्र से दुसरे के जादु टोना खतम करना, नजर लगना,भूत प्रेत लगना और कुछ भी दोष हो वह दुर हो जाता है।छटे मोटे कुछ भी वाधा को मंत्र जाप करके पिडित इन्सान पर फुक मारने पर दुर हो जाता है। मंत्र-ॐ नमो भगवते श्रीबटुक भैरवाय परकुत्त जंत्र मंत्र तंत्र वाटकादी नाशकाय भूतजिँद प्रेत पिशाच डाकिनी शाकिनी मसनादी कुत्त दोषध्यं सकाय श्रीबटुकाय नमो नमः हुं फट स्वाहा
आठ भूतिनी को एक वार मेँ सिद्धि किया जाए तो असंभव को भी संभव करने की शक्ति मील जाता है।कुवेर के तरहा इस संसार मेँ जीवन जीने को मिलता है।हर मनोकामना ए भूतिनीया एक पाल मेँ पूर्ण कर देती है। मंत्र-ॐ अष्टो भूतिनीँ ह्रीँ स्वाहा
ए अमल एक दिन का है और बहुत ही असान है।इसको एक बच्चा भी कर साकता है,मुझको पसंद अया तो मेँ अमल दे रहा हु।शर्त ए हे की जीसके मन मेँ डर ना हो जो निडर हो वही ए अमल करेँ।एक दो घंटे का है, जादा से जादा तीन घंटा का अमल है। अमल करने से पहले अपने सुरक्षा के लीए सुरक्षा चक्र कर ले।ए मंत्र बार बार आजमाया गया है और हर बार बार काम किया है।अमल करने के लीए किसी शामशन मेँ जाए और धूप दीप दे कर,मंत्र जाप करे।मध्य रात्रि मेँ जीन्न के राजा हजीर होगा ।आगे किया करना है, बार बार वोल चूका हु। मंत्र-या रहमाँनू
मंत्र-ॐ ॐ श्रीं नमः
मंत्र-ॐ श्रीँ हां नमः
मंत्र-ॐ जय जय भूत देवी यक्ष कुटी कुटी धीर धीर ज्वल ज्वल दिव्यलोचनि भगवन् आज्ञापतये स्वाहा
मंत्र-ॐ सां सोमाय यक्षाधिपतये गदाहस्ताय नर वाहनाय सपरिवाराय नमः
मंत्र-ॐ लां इन्द्राय सुराधिपतये ऐरावत वाहनाय वज्रहस्ताय सशक्ति पारिषदाय सपरिवाराय नमः
मंत्र-आं ब्रह्मणे प्रजाधिपतये हंस वाहनाय पद्यहस्ताय सपरिवाय नमः
मंत्र-ॐ मां यमाय प्रेताधिपतये दणड हस्ताय महिष वाहनाय सायुधाय सपरिवाराय नमः
मंत्र-ॐ वां वायवे प्रारणधिपतये हरिण वाहनायांकुश हस्ताय सपरिवाराय नमः
मंत्र- ह्रीँ कएइल ह्रीँ हसकहल ह्रीँ सकल ह्रीँ
मंत्र-ॐ ऐँ क ह ल ह्रीँ ऐँ तारायै सिद्धिम देहि देहि ॐ ऐँ कह ल ह्रीँ ऐँ नमः
मंत्र-या महम्मद दीन हजराफिल भदवर अल्लाह हो
ॐ श्रीँ श्रीँ क्रीँ माया महिनी नमः।कार्य सफल कुरु कुरु स्वाहा
ॐ ॐ ह्रीँ ह्रीँ क्रीँ क्रीँ वीर बेताल आ आ बोली काहार आज्ञा महादेवक्कर कोटी कोटी आज्ञा
ॐ ह्रीँ श्रीँ क्रीँ माहेश्वरी त्रीपुरायै मम अभीष्ट सिद्धियम कुरु कुरु नमः स्वाहा
मंत्र-ॐ ह्रीँ श्रीँ महामूत्युञ्जय मम अकाल मूत्यु हरण कुरु नमः स्वाहा
मंत्र-ॐ ह्रीँ क्रीँ कं कं महाकाली मम सर्वकार्य सफल कुरु नमः स्वाहा
मंत्र-ॐ षीँ स्वाहा
ॐ तारा नूरी ॐ
ॐ वं वं बटुकाय भैरवाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीँ ॐ नमः शिवाय॥
ॐ क्षौँ ओँ ओँ वषट ठः ठः
ॐ हीँ ओँ ह्रीँ मम प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय हीँ ओँ नमः
शिवो रजसे शिवातुं
ए हनुमान के सुरत हाजिर हो स वाहक रामचंद्र जी महाराज॥
ॐ प्रीँ स्वाहा
ॐ हुं हुं क्रोध भैरवाय क्रीँ क्रीँ फट॥
ॐ वीर हनुमान राम राम सर्व प्राप्ति प्राप्ति राम सीता राम॥
यह मंत्र अद्भुत है स्वयं सिद्ध है आप सिद्ध करने कि जरुरत नही सिधे प्रयग मे लाय। प्रतिदिन इस मत्र से अन्न के सात ग्रास अभिमत्रित कर साध्य के रुप. नाम चिँनता कर भजन करे वो साध्य आपके वश मेँ होगा। इसमे सदेह करने का कई कारण नही है।लेकिन आप कुछ दिन तक आगर पाँच माल जाप कर यह प्रयग करे तो लाभ दोगुना होगा मंत्र-ॐ नमः कट् विकट घोररुपिणी स्वाहा
यह एक भुत डामर तंत्र का सिद्ध वशीकरण प्रयोग हैं! इस मंत्र से आप अपनी माता ,पिता,भाई,बहन ,रिश्तेदार या किसी का भी वशीकरण कर सकतें हैं! इस मंत्र को सिर्फ ५०० बार रुद्राक्ष की माला से पूर्व या उत्तर दिशा में लाल रंग के आसन पर बैठकर जपने से आप किसी को भी अपने वशीभूत बना सकतें है!इसे सिर्फ ५०० बार जिसका ध्यान कर या जिसकी तस्वीर के सामने जपा जायेगा वे आपके वशीभूत होगा! जब तक काम ना बने जपते रहिये। दुसरा प्रयग- मन हि मन मेँ जाप करे और ध्यान करे जिसको आप वशिकरण करना चाहते हे वो आपका वश मेँ होगी या होगा। यह सिद्ध है आलग से सिद्ध करने कि जरुरत नही सिधा प्रयग मेँ लाय। मंत्र-म्रोँ ड़ोँ
आगर आप को कहा जाय कि आप हवा मेँ उड साकते है, पानी पर चाल साकते है, कुछ भी कर साकते है, आप कहगे पागल है, ऐसा होता है किया?? मेँ (रवि किसान) कहुगा तो पागल लेकिन कोई विदेसि कहेगा तो शाच है। आज हम हिप्नाटिज्म को जानते है, विदेश मेँ वह एक टाईमपास खेल है, लेकिन हम डरते है।भारत मेँ ईसको वशिकरण विद्या कहाजाता है।वशिकरण नाम मात्र से लौग भागने लागते है,किया ए भयकंर है,मेरा मानना है नही।आप एक नजर से देखते है,ईस लिय आप को ए भयकंर विद्या लागता है,दुसरी नजर से देखगे तो आपको ए हाथ का खेलना लागेगा।आज वशिकरण वादल कर हिप्नाटिज्म वान गया है। विना मंत्र के आज ए विद्या काम करता है,समय के साथ वादला और ईसान का विमारी दुर कर रहा है। डकटरी विद्या मेँ ए एक विषय है।तंत्र को विज्ञान के नजर से देखगे तो आप का कायाकल्प कर देगा। कुछ नया करना चाहते तो तंत्र को विज्ञान के नजर से देखे ,नाकि ढगी साधुउ के नजर से देखे।सम्मोहन विद्या मेँ सफलता पाने मे तिस दिन लगता है । आप को भि ए मान ले कि कई काम एक दिन मेँ पुरा नही होगी,प्रतिदिन साधना (प्रेकटिस) करनी होगी। तंत्र मेँ वादलव करे और नया खेज करे फिर उड पायगे, जल पर चाल पायगे कुछ भी कर पायगे, लागता है ना अजिव ,साच माने सव संभाव है। आगली वार विना मंत्र के मारण विद्या , लडकिउ कि सुराक्षा विद्या .....
भगवान वीरभद्र जो कि शिव शम्भू के अवतार हैं, उनकी पूजा-उपासना करने से बड़े-बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं, वीरभद्र, भगवान शिव के परम आज्ञाकारी हैं, उनका रूप भयंकर है, देखने में वे प्रलयाग्नि के समान प्रतीत होते हैं। उनका शरीर महान ऊंचा है,। वे एक हजार भुजाओं से युक्त हैं। वे मेघ के समान श्यामवर्ण हैं! उनके सूर्य के समान जलते हुए तीन नेत्र हैं। एवं विकराल दाढ़ें हैं और अग्नि की ज्वालाओं की तरह लाल-लाल जटाएं हैं। गले में नरमुंडों की माला तो हाथों में तरह-तरह के अस्त्र-शस्त्र हैं! परन्तु वे भी भगवान शिव की तरह परम कल्याणकारी तथा जल्दी प्रसन्न होने वाले है! उनकी निम्नलिखित साधना पद्धति से तत्काल फल मिलता है, "वीरभद्र सर्वेश्वरी साधना मंत्र" जो उनके "वीरभद्र उपासना तंत्र" से लिया गया है, एक स्वयं सिद्ध चमत्कारिक तथा तत्काल फल देने वाला मंत्र है, स्वयंसिद्ध मंत्र से तात्पर्य उन मंत्रो से होता है जिन्हे सिद्ध करने की जरुरत नहीं पड़ती, वे अपने आप में सिद्ध होते हैं, इस मंत्र के जाप से अकस्मात् आयी दुर्घटना, कष्ट, समस्या आदि से क्षण भर में निपटा जा सकता है, (उदाहरण- कार्यबाधा, हिंसक पशु कष्ट, डर! इत्यादि) ये तत्काल फल देने वाला मंत्र है, और साथ ही साथ ये बेहद तीव्र तेज वाला मंत्र है, इसे मजाक अथवा हंसी ठिठोली में कदापि नहीं लेना चाहिए, इसके द्वारा प्राप्त किये जा सकने वाले लाभ - (१). इस मंत्र के स्मरण मात्र से डर भाग जाता है, और अकस्मात् आयी बाधाओ का निवारण होता है. जब भी किसी प्रकार के कोई पशुजन्य या दूसरे तरह से प्राणहानि आशंका हो तब इस मंत्र का ७ बार जाप करना चाहिए. इस प्रयोग के लिए मात्र मंत्र याद होना ज़रुरी है. मंत्र कंठस्थ करने के बाद केवल ७ बार शुद्ध जाप करें व चमत्कार देंखे! (२). अगर इस मंत्र का एक हज़ार बार बिना रुके लगातार जाप कर लिया जाए तो व्यक्ति की स्मरण शक्ति विश्व के उच्चतम स्तर तक हो जाती है तथा वह व्यक्ति परम मेधावी बन जाता है! (३). अगर इस मंत्र का बिना रुके लगातार १०,००० बार जप कर लिया जाए तो उसे त्रिकाल दृष्टि (भूत, वर्त्तमान, भविष्य का ज्ञान) की प्राप्ति हो जाती है! (४). अगर इस मंत्र का बिना रुके लगातार एक लाख बार, रुद्राक्ष की माला के साथ, लाल वस्त्र धारण करके तथा लाल आसान पर बैठकर, उत्तर दिशा की और मुख करके शुद्ध जाप कर लिया जाये, तो उस व्यक्ति को "खेचरत्व" एवं "भूचरत्व" की प्राप्ति हो जायेगी! मंत्र इस प्रकार है -ॐ हं ठ ठ ठ सैं चां ठं ठ ठ ठ ह्र: ह्रौं ह्रौं ह्रैं क्षैं क्षों क्षैं क्षं ह्रौं ह्रौं क्षैं ह्रीं स्मां ध्मां स्त्रीं सर्वेश्वरी हुं फट् स्वाहा (Om Ham th th th seim chaam tham th th th hrah hraum hraum hreim ksheim kshom ksheim ksham hraum hraum ksheim hreeng smaam dhmaam streem sarveshwari hum phat swaahaa)
: हर व्यक्ति के जीवन में ऋण एक अभिशाप है !एक वार व्यक्ति इस में फस गया तो धस्ता चला जाता है ! सूत की चिंता धीरे धीरे मष्तश पे हावी होती चली जाती है जिस का असर स्वस्थ पे होना भी स्वाभिक है ! प्रत्येक व्क्यती पे छ किस्म का ऋण होता है जिस में पित्र ऋण मार्त ऋण भूमि ऋण गुरु ऋण और भ्राता ऋण और ऋण जिसे ग्रह ऋण भी कहते है !संसारी ऋण (कर्ज )व्यक्ति की कमर तोड़ देता है मगर हजार परयत्न के बाद भी व्यक्ति छुटकारा नहीं पाता तो मेयूस हो के ख़ुदकुशी तक सोच लेता है !मैं जहां एक बहुत ही सरल अनुभूत साधना प्रयोग दे रहा हु आप निहचिंत हो कर करे बहुत जल्द आप इस अभिशाप से मुक्ति पा लेंगे ! विधि – शुभ दिन जिस दिन रवि पुष्य योग हो जा रवि वार हस्त नक्षत्र हो शूकल पक्ष हो तो इस साधना को शुरू करे वस्त्र --- लाल रंग की धोती पहन सकते है ! माला – काले हकीक की ले ! दिशा –दक्षिण ! सामग्री – भैरव यन्त्र जा चित्र और हकीक माला काले रंग की ! मंत्र संख्या – 12 माला 21 दिन करना है ! पहले गुरु पूजन कर आज्ञा ले और फिर श्री गणेश जी का पंचौपचार पूजन करे तद पहश्चांत संकल्प ले ! अपने जीवन में स्मस्थ ऋण मुक्ति के लिए यह साधना कर रहा हु हे भैरव देव मुझे ऋण मुक्ति दे !जमीन पे थोरा रेत विशा के उस उपर कुक्म से तिकोण बनाए उस में एक पलेट में स्वास्तिक लिख कर उस पे लाल रंग का फूल रखे उस पे भैरव यन्त्र की स्थापना करे उस यन्त्र का जा चित्र का पंचौपचार से पूजन करे तेल का दिया लगाए और भोग के लिए गुड रखे जा लड्डू भी रख सकते है ! मन को स्थिर रखते हुये मन ही मन ऋण मुक्ति के लिए पार्थना करे और जप शुरू करे 12 माला जप रोज करे इस प्रकार21 दिन करे साधना के बाद स्मगरी माला यन्त्र और जो पूजन किया है वोह समान जल प्रवाह कर दे साधना के दोरान रवि वार जा मंगल वार को छोटे बच्चो को मीठा भोजन आदि जरूर कराये ! शीघ्र ही कर्ज से मुक्ति मिलेगी और कारोबार में प्रगति भी होगी ! मंत्र—ॐ ऐं क्लीम ह्रीं भम भैरवाये मम ऋणविमोचनाये महां महा धन प्रदाय क्लीम स्वाहा !!
ये साधना आप किसी भी मंगलवार से आरंभ कर सकते हे । साधना सुरू करने से पहले साधना शुद्ध जल से स्नान कर के साधना के लिए लाल वस्त्र एवं लाल आसान ओर लाल रंग का ही पोशाक पहने । इस साधना मे साधक को 11 दिन मंत्र का जाप करना हे । ओर इस तरह साधक को रोज 108 मंत्र यानि रोज 1 माला मंत्र का जाप करना हे । साधना के दौरान धूप, दीप, ओर खुशबूदार अगरबत्ती जलाए ओर ये साधना रात के समय ने ही करे । मंत्र :- ओम गुरूजी हनुमानजी कावल कुंडा हाथी खप्पर छडी मसान गुग्गल धुप जाप तेरा, तेरा रूप शाकिनी बांधू डाकिनी बांधू भूत को बांधू अटल को बांधू पाताल टेकरी को बांधू हनुमानजी के रोचना को बांधू, घर घर जाओ, ना माने चार गदा लगाओ, जेसे सीता माँ के सतको राखे वैसे मेरे सतको रखो, आवो आवो हनुमान घट्ट पिंड में समाओ हनुमान, हनुमान बेठे रानी आई, गदा बेठी, राजा ये मंत्रबहुतहीशक्तिशालीहेओरइससाधनाकरनेसेसाधनाकोहरपलआपनेपासभगवानहनुमानकोअपनेपासमहसूसपाओगे।औरसाधकहनुमानजीकीकृपासेसबखतरोंसेबचजाएगीजय
यह साधना मेरी ही नहीं कई साधको की अनुभूत है !काफी उच कोटी के संतो से प्राप्त हुई है और फकीरो में की जाने वाली साधना है !इस के क्यी लाभ है !यह एक बहुत ही चमत्कारी साधना है ! 1 इस साधना से किसी भी अनसुलझे प्रशन का उतर जाना जा सकता है !अगर इस को सिद्ध कर लिया जाए और मात्र 5 जा 10 मिंट इस मंत्र का जप कर सो जाए जा आंखे बंद कर लेट जाए तो यह चल चित्र की तरह सभी कुश दिखा देती है ! और जो भी आपका प्रश्न है! उसका उतर दिखा देती है !क्यी वार कान में आवाज भी दे देती है जो आप जानना चाहते है ऐसा बहुत वार परखा गया है ! 2 इस साधना से किसी भी शारीरिक दर्द का इलाज किया जा सकता है !दर्द चाहे कही भी हो इस मंत्र को पढ़ते जदी कुश देर दर्द वाली जगह पे हाथ फेरा जाए तो कुश ही मिंटो में दर्द गायब हो जाता है ! 3 इस से किसी भी भूत प्रेत को शांत किया जा सकता है!इस मंत्र से बतासे अभिमंत्रिक कर रोगी को पहले एक दिया जाता है फिर दूसरा और फिर तीसरा और उस पे जो भी छाया हो वोह उसी वक़्त सवारी में हाजर हो जाती है!तब उस से पूछ लिया जाता है के उसे क्या चाहिए और कहा से आई है किस ने भेजा है आदि आदि और फिर उसे और बताशा दिया जाता है जिस से वोह शांत हो चले जाती है इस तरह बहुत वार परखा गया है! यह बहुत ही आसान साधना है भूत प्रेत भागने की और अगर देवता की क्रोपी भी हो वोह भी बता देते है के उन्हे क्या चाहिए इस का प्रयोग सिर्फ अनुभवी व्यक्ति ही करे इसका एक अलग विधान है के कैसे करना है !इस साधना को होली और फिर आने वाले ग्रहण में करे जितनी वार की जाती है इसकी ताकत बढ़ती है ! 4 जदी इसे अनुष्ठान रूप में स्वा लाख जप लिया जाए तो व्यक्ति हवा में से मन चाहा भोजन प्राप्त कर सकता है जब अनुष्ठान के रूप में की जाती है तो साधना समाप्ती पे दो आदमी प्रकट होते है जिन के हाथो में वाजे होते है जब वोह दिख जाए तो सवाल जबाब कर लेना चाहिए उस के बाद वोह शून्य में से पदार्थ प्राप्त करा देते है! हमारे संत बताते थे के इस से स्वर्ग तक की चीजे भी प्राप्त कर सकते है और हर प्रकार का स्वादिष्ट भोजन भी क्यी साधू लोग इसी के बल पे जंगल में बैठे वढ़िया भोजन प्राप्त कर लेते है ! इसका अनुष्ठान 40 दिन में सवा लाख मंत्र जप करे !अगर किसी कारण वश पहली वार सफलता न मिले तो घबराए न दुयारा करे यह अनुभूत है ! इस साधना के भूत भविष्य दर्शन की एक बेजोड़ साधना है! इस का साधक कभी भूत प्रेत के चक्र में नहीं फसता और अपनी व अपने सभी साथियो की सुरक्षा कर लेता है !इस से किसी के भी मन की बात जान सकते है और उस अपने अनुकूल बना सकते है ! और यह साधना घर से गए व्यक्ति का पता कुश ही मिंटो में लगा लेती है ! कुश ही दिन करने से इस साधना की दिव्य्य्ता का स्व पता चल जाता है ! विधि – 1 इस साधना को सफ़ेद वस्त्र धारण कर करे ! 2 आसान सफ़ेद हो ! 3 माला सफ़ेद हकीक की ले ! 4 दिशा उतर रहे ! 5 अगर होली या ग्रहण पे कर रहे है तो 11 माला कर ले ! मगर इस से पूर्ण लाभ नहीं मिलेगे सिर्फ आने वाले समय के वारे स्वपन में जानकारी मिल जाएगी और किसी प्रश्न का उतर पता लगाया जा सकता है ! 6 अगर इसे अनुष्ठान के रूप में करते है जो उपर वाले सभी लाभ मिल जाते है 7 आसन पे बैठ जाए पहले गुरु पूजन और गणेश पूजन कर फिर शिव आज्ञा और अपने सहमने एक कागज पे थोरे चावल चीनी और घी जो की गऊ का हो रख ले कागज पे बस थोरा थोरा ही डाले और मंत्र जप पूर्ण होने पर उसे किसी चोराहे पे छोड़ दे और घर आके मुह हाथ दो ले इस तरह यह साधना सिद्ध हो जाती है !अगर सवा लाख कर रहे है तो यह स्मगरी रोज भी ले सकते है और पहले जा अंतिम दिन भी ले सकते है जैसी आपकी ईशा कर ले मगर इस स्मगरी को बिना रखे साधना न करे नहीं तो शरीर मिटी के समान बेजान सा लगता है जब तक आप यह पुजा नहीं रखते ! 8 जब किसी के घर जा रहे है अगर कोई बुलाने आया है के हमारा घर देखो क्या हुया है तो इस मंत्र से कुश बतासे पढ़ कर छत पे डाल दे फिर जाए और जा 7 बतासे ले उन्हे पढ़ कर उन में से चार छत पे डाल दे बाकी तीन साथ ले जाए और रोगी को एक एक करके दे देने से वोह ठीक हो जाता है जा उस पे अगर कुश होगा तो सिर या कर बोल देगा! 9 साधना काल में शुद्ध घी का दीपक जलता रहना चाहिए और अगरवती आदि लगा दे ! 10 साधना काल में ब्रह्मचारेय का पालन अनिवार्य है !साबर मंत्र --- ॐ नमो परमात्मा मामन शरीर पई पई कुरु कुरु सवाहा !!
लक्ष्मी यक्षणी कुबेर ने धन पूर्ति के लिए जेबी महा लक्ष्मी की साधना की तो महा लक्ष्मी ने पर्सन हो कर वर मांगने को कहा तो श्री कुबेर जी ने उन्हे अपने लोक अल्का पूरी में निवास करने को कहा तो लक्ष्मी जी ने व्हा यक्षणी रूप में निवास किया और तभी से वहाँ धन की स्दह पूर्ति होती रहती है ! हर एक चाहता है उस के पास सभी सुख हो और उसे कभी किसी का मोहताज न होना पड़े जीवन में हर क्षेत्र में उच्ता मिले शरीर भी सोन्द्र्यवान हो और धन की भी प्रचुर अवस्ता में प्राप्ति हो ! इस के लिए यक्षणी साधनाए काफी महत्व पूर्ण मानी जाती है ! और उनसे भी उत्म यह है के ऐसी यक्षणी साधना हो जो जल्द सीध हो और जो सभी मनोरथ पूरे करे ! यह लक्ष्मी यक्षणी की साधना है इस एक साधना को करने से 108 यक्षणिए सिद्ध हो जाती ! और साधक की हर ईछा पूर्ण करती है ! इस साधना का विधान जटिल है फिर भी उसे आसान तरीके से दे रहा हु ! एक कटोरी में चावल संदूर चन्दन और कपूर मिश्रत कर ले और लक्ष्मी के 108 नाम से नमा लगा कर पूजन करे और लक्ष्मी के 108 नाम आप किसी भी लक्ष्मी पूजन की बूक में देख सकते है ! सुंगधित तेल का दिया लगा दे एक पात्र में कुश उपले जला के उस में गूगल और लोहवान धुखा दे सुगधित अगरवाती भी लगाई जा सकती है ! लाल कनेर से पूजन करे ! और गुरु मंत्र का एक माला जप कर के लक्ष्मी यक्षणी मंत्र का 101 माला जप करे यह कर्म 14 दिन करना है ! और साधना पूरी होने पे कनेर के फूल और घी से हवन करना है 10000 मंत्रो से ! इस प्रकार यह साधना सिद्ध हो जाती है और साधक को रसयान सिधी प्रदान करती है ! इस से साधक के जीवन में कभी धन की कमी नहीं आती जैसे चाहे जितना भी खर्चे धन घर में आता ही रेहता है इस के लिए कुबेर यंत्र और श्री यंत्र का पूजन करे और कमल गट्टे की माला जा लाल चन्दन की माला का उपयोग करे ! दिशा उतर और वस्त्र पीले धारण करे ! हवन के बाद घर में बनी खीर जा मिष्ठान का भोग लगाए ! यह साधना सोमवार स्वाति नक्षत्र से शुरू करे ! मंत्र — ॐ लक्ष्मी वं श्रीं कमलधारणी हंसह सवाहा !!
इस साधना कि कई अनुभूतिया है,और साधना भि एक दिन कि है.कई येसे रोग या बीमारिया है जिनका निवारण नहीं हो पाता ,और दवाईया भि काम नहीं करती ,येसे समय मे यह प्रयोग अति आवश्यक है.यह प्रयोग आज तक अपनी कसौटी पर हमेशा से ही खरा उतरा है .
प्रयोग सामग्री :-
एक मट्टी कि कुल्हड़ (मटका) छोटासा,सरसों का तेल ,काले तिल,सिंदूर,काला कपडा .
प्रयोग विधि :-
शनिवार के दिन श्याम को ४ या ४:३० बजे स्नान करके साधना मे प्रयुक्त हो जाये,सामने गुरुचित्र हो ,गुरुपूजन संपन्न कीजिये और गुरुमंत्र कि कम से कम ५ माला अनिवार्य है.गुरूजी के समक्ष अपनी रोग बाधा कि मुक्ति कि लिए प्रार्थना कीजिये.मट्टी कि कुल्हड़ मे सरसों कि तेल को भर दीजिये,उसी तेल मे ८ काले तिल डाल दीजिये.और काले कपडे से कुल्हड़ कि मुह को बंद कर दीजिये.अब ३६ अक्षर वाली बगलामुखी मंत्र कि १ माला जाप कीजिये.और कुल्हड़ के उप्पर थोडा सा सिंदूर डाल दीजिये.और माँ बगलामुखी से भि रोग बाधा मुक्ति कि प्रार्थना कीजिये.और एक माला बगलामुखी रोग बाधा मुक्ति मंत्र कीजिये.
मंत्र :-
|| ओम ह्लीम् श्रीं ह्लीम् रोग बाधा नाशय नाशय फट ||
मंत्र जाप समाप्ति के बाद कुल्हड़ को जमींन गाड दीजिये,गड्डा प्रयोग से पहिले ही खोद के रख दीजिये.और ये प्रयोग किसी और के लिए कर रहे है तो उस बीमार व्यक्ति से कुल्हड़ को स्पर्श करवाते हुये कुल्हड़ को जमींन मे गाड दीजिये.और प्रार्थना भि बीमार व्यक्ति के लिए ही करनी है.चाहे व्यक्ति कोमा मे भि क्यों न हो ७ घंटे के अंदर ही उसे राहत मिलनी शुरू हो जाती है.कुछ परिस्थितियों मे एक शनिवार मे अनुभूतिया कम हो तो यह प्रयोग आगे भि किसी शनिवार कर सकते है.
मंत्र-:ॐ नमो भैंरुनाथ, काली का पुत्र! हाजिर होके, तुम मेरा कारज करो तुरत। कमर
बिराज मस्तङ्गा लँगोट, घूँघर-माल। हाथ बिराज डमरु खप्पर त्रिशूल। मस्तक
बिराज तिलक सिन्दूर। शीश बिराज जटा-जूट, गल बिराज नोद जनेऊ। ॐ नमो
भैंरुनाथ, काली का पुत्र ! हाजिर होके तुम मेरा कारज करो तुरत। नित उठ करो
आदेश-आदेश।”
विधिः पञ्चोपचार से पूजन। रविवार से शुरु करके २१ दिन तक मृत्तिका की
मणियों की माला से नित्य अट्ठाइस (२८) जप करे। भोग में गुड़ व तेल का शीरा
तथा उड़द का दही-बड़ा चढ़ाए और पूजा-जप के बाद उसे काले श्वान को खिलाए। यह
प्रयोग किसी अटके हुए कार्य में सफलता प्राप्ति हेतु है।
“डण्ड
भुज-डण्ड, प्रचण्ड नो खण्ड। प्रगट देवि, तुहि झुण्डन के झुण्ड। खगर दिखा
खप्पर लियां, खड़ी कालका। तागड़दे मस्तङ्ग, तिलक मागरदे मस्तङ्ग। चोला जरी
का, फागड़ दीफू, गले फुल-माल, जय जय जयन्त। जय आदि-शक्ति। जय कालका
खपर-धनी। जय मचकुट छन्दनी देव। जय-जय महिरा, जय मरदिनी। जय-जय चुण्ड-मुण्ड
भण्डासुर-खण्डनी, जय रक्त-बीज बिडाल-बिहण्डनी। जय निशुम्भ को दलनी, जय शिव
राजेश्वरी। अमृत-यज्ञ धागी-धृट, दृवड़ दृवड़नी। बड़ रवि डर-डरनी ॐ ॐ ॐ।।”
विधि - नवरात्रों में प्रतिपदा से नवमी तक घृत का दीपक प्रज्वलित रखते हुए
अगर-बत्ती जलाकर प्रातः-सायं उक्त मन्त्र का ४०-४० जप करे। कम या ज्यादा न
करे। जगदम्बा के दर्शन होते हैं।
“बिस्मिल्लाह
कर बैठिए, बिस्मिल्लाह कर बोल। बिस्मिल्लाह कुञ्जी कुरान की, जो चाहे सो
खोल। धरती माता तू बड़ी, तुझसे बड़ा खुदाय। पीर-पैगम्बर औलिया, सब तुझमें
रहे समाएँ। डाली से डाली झुकी, झुका झुका फूल-से-फूल। नर बन्दे तू क्यों
नहीं झुकता, झुक गए नबी रसूल। गिरा पसीना नूर का, हुआ चमेली फूल।
गुन्द-गुन्स लावने मालिनी पहिरे नबी रसूल।”
विधि- बहते पानी के समीप १०१ दाने की माला से प्रातः सायं २१ माला, ४१ दिन
तक जपे, ४१वें दिन सायं को हलवा प्रसाद में ले आए। मन्त्र के बाद कुछ हलवा
पानी में छोड़ दे और शेष बच्चों में बाँट दे।
जिस पर प्रयोग करना हो, तो मन्त्र को कागज पर केसर-स्याही से लिखे।
‘नर-बन्दे’ के स्थान पर उसका नाम लिखे। मन्त्र को पानी में घोल के साध्य
व्यक्ति को पिलावे, तो वशीकरण होगा।
मां भगवती काली का मनोकामना पूर्ति मंत्र ! काली के भगतों की मनोकामना इस
मंत्र के प्रभाव से आवश्य ही पूर्ण होती है बस कुछ ही दिन धर्य के साथ हर
रोज शाम को 30 मिनट इस मंत्र का जाप करने से चमत्कारिक लाभ होगा और जीवन मे
कोई भी अभाव नहीं रहेगा ये पक्की बात है। विश्वास ना हो तो आजमा के देखलो .
इसके साथ यदि प्राण प्रतिष्ठित कलियंत्र भी धारण् कर लिया जाये तो बस फिर
कहना ही क्या .
मंत्र
ओम क्रीं काली काली कलकत्ते वाली !
हरिद्वार मे आके डंका बजाओ !धन के भंडार भरो मेरे सब काज करो नाकरो
तो दुहाई !दुहाई राजा राम चन्द्र हनुमान वीर की !
नदी
तट पर वैठकर एक सप्ताह तक उकत मंत्र का नित्य 10000 कि संख्य मेँ जप करेँ
तथा जप के अन्त मेँ हवन आदि करेँ तो नटी सन्तुष्ट होकर आती है और पत्नी के
रुप मेँ उसकी समस्त आज्ञाऔँ का पालन करती हुई उसे प्रतिदिन 1तोला स्वर्ण
प्रदान करती है। मंत्र:-ॐ हु डं फट् फट् नटी हुं हुं
हुं