Saturday 10 February 2018

sadhana sangraha

श्री ललिताम्बा सिद्धि

यह साधना शुक्रबार से शुरू करें जो केवल तीन दिन की है और रात्रि कालीन साधना है ! साधक अपने साधना स्थान को जल से धो लें फिर पीला आसन बिछा लें और पीली धोती पहन कर उत्तर दिशा की ओर मुह कर के बैठ जाय सामने ललिताम्बा यन्त्र स्थापित कर दें
सबसे पहले हाँथ मे जल ले कर संकल्प करे कि मै (अमुक ) गोत्र (अमुक ) नाम का साधक भगबती ललिताम्बा के दर्शन करना चाहता हूँ साथ ही साथ सम्बंधित सिद्धि को पाना चाहता हूँ !
इसके बाद गुरु पूजन करें और एक माला गुरु मंत्र कि करें अगरबत्ती और दीपक लगा कर हकीक माला को यन्त्र पर चड़ा कर निम्न मंत्र का २१ बार उच्चारण करें
!! ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हंसः ॐ नमो भगवति, अक्षोभ्ये रुक्ष कर्णे, राक्षसी, पक्ष त्राणे, क्षपे, पिंगलाक्षी, अरुणे, क्षये, लीले, लोले ललिते

पुष्पदेहा अप्सरा साधना

किसी भी शुक्रबार से प्रारंभ कर अगले १४ दिनों तक की साधना है ( कुल १५ दिन की )... इसमें पुष्पदेहा अप्सरा यन्त्र और पुष्पदेहा अप्सरा माला प्रयोग मे लानी चाहिए! उत्तम वस्त्र पहनने चाहिए एवं दिशा उत्तर मुख होनी चाहिए ! मंत्र जप के समय शुद्ध घी का दीपक जलते रहना चाहिए उसमे कुछ इत्र की बूंदे भी डाल दें ! साधना का समय और स्थान बदलना नहीं चाहिए! स्थान साफ़ सुथरा और सुसजित होना चाहिए !
यह रात्रि कालीन साधना है अतः १० बजे के बाद ही प्रारंभ करे ! यन्त्र एवं माला का कुमकुम अक्षत एवं पुष्प से पूजन करें और निम्न मंत्र का १५ दिन तक ५ माला जप करें!
!! ॐ ह्रीं पुष्पदेहा आगच्छ प्रत्यक्षं भव ॐ फट !!
मंत्र जप के बाद हो सके तो वहीँ पर विश्राम करें ! १५ दिन के बाद यन्त्र और माला को किसी पवित्र नदी या सरोवर या देवालय मे विसर्जित कर दें !
साधना काल मे गुरु मंत्र और गुरु पर पूर्ण विशवास रखें

योगिनी साधना

यह साधना में उपयोग हेतु योगिनी यन्त्र और सफ़ेद हकीक की माला प्रयोग मे ले...
यह साधना योगिनी एकादशी या किसी भी शुक्रवार को प्रारंभ की जा सकती है
वस्त्र सफ़ेद और दिशा उत्तर होनी चाहिए
यन्त्र और माला का सामान्य पूजन करके मंत्र की ११ माला जप करे
!! ॐ ह्रीं योगिनि आगच्छ आगच्छ स्वाहा !!
यह एक दिवसीय साधना है साधना संपन करने के बाद दूसरे दिन माला और यन्त्र को किसी स्वच्छ जलाशय या निर्जन स्थान पर विसर्जित कर दें

वीर बेताल साधना

यह साधना रात्रि कालीन है स्थान एकांत होना चाहिए ! मंगलबार को यह साधना संपन की जा सकती है ! घर के अतिरिक्त इसे किसी प्राचीन एवं एकांत शिव मंदिर मे या तलब के किनारे निर्जन तट पर की जा सकती है !
पहनने के बस्त्र आसन और सामने विछाने के आसन सभी गहरे काले रंग के होने चाहिए ! साधना के बीच मे उठना माना है !
इसके लिए वीर बेताल यन्त्र और वीर बेताल माला का होना जरूरी है !
यन्त्र को साधक अपने सामने बिछे काले बस्त्र पर किसी ताम्र पात्र मे रख कर स्नान कराये और फिर पोछ कर पुनः उसी पात्र मे स्थापित कर दे !
सिन्दूर और चावल से पूजन करे और निम्न ध्यान उच्चारित करें
!! फुं फुं फुल्लार शब्दो वसति फणिर्जायते यस्य कण्ठे
डिम डिम डिन्नाति डिन्नम डमरू यस्य पाणों प्रकम्पम!
तक तक तन्दाती तन्दात धीर्गति धीर्गति व्योमवार्मि
सकल भय हरो भैरवो सः न पायात !!
इसके बाद माला से 31 माला मंत्र जप करें यह 21 दिन की साधना है !
!! ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं वीर सिद्धिम दर्शय दर्शय फट !!
वीर बेताल के दर्शन के दुसरे दिन साधना के सामग्री नदी मे या शिव मंदिर मे विसर्जित कर दें
साधना का काल और स्थान बदलना नहीं चाहिए

देवी छिन्नमस्ता साधना

भगवती छिन्नमस्ता का स्वरूप अत्यंत ही गोपनीय है। इसे कोई अधिकारी साधक ही जान सकता है। महाविद्याओं में इनका तीसरा स्थान है। इनके प्रादुर्भाव की कथा इस प्रकार है-एक बार भगवती भवानी अपनी सहचरी जया और विजया के साथ मन्दाकिनी में स्नान करने के लिए गयीं। स्नान के बाद क्षुधाग्नि से पीड़ित होकर वे कृष्णवर्ण की हो गयीं। उस समय उनकी सहचरियों ने भी उनसे कुछ भोजन करने के लिए मांगा।
देवी ने उनसे कुछ समय प्रतीक्षा करने के लिए कहा। थोड़ी देर प्रतीक्षा करने के बाद सहचरियों ने जब पुनः भोजन के लिए निवेदन किया, तब देवी ने उनसे कुछ देर और प्रतीक्षा करने के लिए कहा। इस पर सहचरियों ने देवी से विनम्र स्वर में कहा कि मां तो अपने शिशुओं को भूख लगने पर अविलम्ब भोजन प्रदान करती है। आप हमारी उपेक्षा क्यों कर रही हैं?
अपने सहचरियों के मधुर वचन सुनकर कृपामयी देवी ने अपने खड्ग से अपना सिर काट दिया। कटा हुआ सिर देवी के बायें हाथ में आ गिरा और उनके कबन्ध से रक्त की तीन धाराएं प्रवाहित हुईं। वे दो धाराओं को अपनी दोनों सहचरियों की ओर प्रवाहित कर दीं, जिसे पीती हुई दोनों प्रसन्न होने लगीं और तीसरी धारा को देवी स्वयं पान करने लगीं। तभी से देवी छिन्नमस्ता के नाम से प्रसिद्ध हुईं।
ऐसा विधान है कि आधी रात अर्थात् चतुर्थ संध्याकाल में छिन्नमस्ता की उपासना से साधक को सरस्वती सिद्ध हो जाती हैं। शत्रु विजय, समूह स्तम्भन, राज्य प्राप्ति और दुर्लभ मोक्ष प्राप्ति के लिए छिन्नमस्ता की उपासना अमोघ है। छिन्नमस्ता का आध्यात्मिक स्वरूप अत्यन्त महत्वपूर्ण है। छिन्न यज्ञशीर्ष की प्रतीक ये देवी श्वेतकमल पीठ पर खड़ी हैं। दिशाएं ही इनके वस्त्र हैं। इनकी नाभि में योनिचक्र है। कृष्ण (तम) और रक्त(रज) गुणों की देवियां इनकी सहचरियां हैं। ये अपना शीश काटकर भी जीवित हैं। यह अपने आप में पूर्ण अन्तर्मुखी साधना का संकेत है।
विद्वानों ने इस कथा में सिद्धि की चरम सीमा का निर्देश माना है। योगशास्त्र में तीन ग्रंथियां बतायी गयी हैं, जिनके भेदन के बाद योगी को पूर्ण सिद्धि प्राप्त होती है। इन्हें ब्रम्हाग्रन्थि, विष्णुग्रन्थि तथा रुद्रग्रन्थि कहा गया है। मूलाधार में ब्रम्हग्रन्थि, मणिपूर में विष्णुग्रन्थि तथा आज्ञाचक्र में रुद्रग्रन्थि का स्थान है। इन ग्रंथियों के भेदन से ही अद्वैतानन्द की प्राप्ति होती है। योगियों का ऐसा अनुभव है कि मणिपूर चक्र के नीचे की नाड़ियों में ही काम और रति का मूल है, उसी पर छिन्ना महाशक्ति आरुढ़ हैं, इसका ऊर्ध्व प्रवाह होने पर रुद्रग्रन्थि का भेदन होता है।
छिन्नमस्ता का वज्र वैरोचनी नाम शाक्तों, बौद्धों तथा जैनों में समान रूप से प्रचलित है। देवी की दोनों सहचरियां रजोगुण तथा तमोगुण की प्रतीक हैं, कमल विश्वप्रपंच है और कामरति चिदानन्द की स्थूलवृत्ति है। बृहदारण्यक की अश्वशिर विद्या, शाक्तों की हयग्रीव विद्या तथा गाणपत्यों के छिन्नशीर्ष गणपति का रहस्य भी छिन्नमस्ता से ही संबंधित है। हिरण्यकशिपु, वैरोचन आदि छिन्नमस्ता के ही उपासक थे। इसीलिये इन्हें वज्र वैरोचनीया कहा गया है। वैरोचन अग्नि को कहते हैं। अग्नि के स्थान मणिपूर में छिन्नमस्ता का ध्यान किया जाता है और वज्रानाड़ी में इनका प्रवाह होने से इन्हें वज्र वैरोचनीया कहते हैं। श्रीभैरवतन्त्र में कहा गया है कि इनकी आराधना से साधक जीवभाव से मुक्त होकर शिवभाव को प्राप्त कर लेता है।
श्री महाविद्या छिन्नमस्ता महामंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचिनिये ह्रीं ह्रीं फट स्वाहा ॥ एक दिन का साधना है। इस मंत्र को दस हजार जाप करे किँतु 21 माला जाप पुरे होते ही देवी अपना माया देखना आरंभ करती है।अगर मंत्र जाप के मध्य मेँ बिजली काड्क ने की आबाज सुनाई दे तो डरे नही,ईसका अर्थ है साधक के सारे कष्ट का नाश हुआ।मंत्र जाप पुरा करना है किसी भी किमत मेँ और अखीर मेँ देवी दर्शन देगी॥

कर्ण मातंगी साधना

ूं। यह मूलतः जल्दी फल देने वाली साधना से ज्यादा एक प्रयोग विधि है। इसके साधक को माता भविष्य में होने वाली घटनाओं की जानकारी स्वप्न में दे देती हैं।
निष्कम भाव से साधना करने वालों पर माता अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं लेकिन चूंकि फल आसानी से मिल जाता है, अतः साधक का निष्काम रह पाना बेहद कठिन होता है।
फल आधारित साधना होने के कारण इसका असर भी जल्दी खत्म होने लगता है। अतः साधक को प्रयोग की अधिकता/कमी के आधार पर हर तीन या छह माह पर इसका पुनः जप कर लेना चाहिए। इनके कई मंत्र हैं लेकिन यहां अनुभव किए हुए सिर्फ दो मंत्रों का ही उल्लेख कर रहा हूं।
कर्ण मातंगी मंत्र
ऐं नमः श्री मातंगि अमोघे सत्यवादिनि मककर्णे अवतर अवतर सत्यं कथय एह्येहि श्री मातंग्यै नमः।
या
ऊं नमः कर्ण पिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनी मम कर्णे अवतर अवतर अतीत अनागत वर्तमानानि दर्शय दर्शय मम भविष्यं कथय कथय ह्रीं कर्ण पिशाचिनी स्वाहा।
ऐं बीज से षडंगन्यास करें। पुरश्चरण के लिए आठ हजार की संख्या में जप करें। कई बार प्रतिकूल ग्रह स्थिति रहने पर जप संख्या थोड़ी बढ़ानी भी पड़ती है।
जप के दौरान शारीरिक पवित्रता की जरूरत नहीं है लेकिन मानसिक रूप से पवित्र होना आवश्यक है। इसमें हवन भी आवश्यक नहीं है। हालांकि उच्छिष्ट वस्तु (खीर के प्रसाद से) या मांस-मछली को प्रसाद के रूप में माता को ही चढ़ाकर उससे हवन करना अतिरिक्त ताकत देता है।
इसके साधक को माता कर्ण मातंगी भविष्य में घटने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं की जानकारी स्वप्न में देती हैं। इच्छुक साधक को माता से प्रश्न का जवाब भी मिल जाता है। भक्तिपूर्वक एवं निष्काम साधना करने पर माता साधक का पथप्रदर्शन करती हैं।

सर्वकार्य सिद्धि मंत्र साधना

यह साधना मेरी ही नहीं कई  साधकों की अनुभूत है | काफी उच्च कोटी के संतो से प्राप्त हुई है और फकीरों में की जाने वाली साधना है | इसके बहुत  लाभ हैं | यह एक बहुत ही चमत्कारी साधना है |
1. इस साधना से किसी भी अनसुलझे प्रशन का उत्तर जाना जा सकता है | अगर इसको सिद्ध कर लिया जाए और मात्र 5 या 10 मिनट इस मंत्र का जप कर सो जाए या आंखे बंद कर लेट जाए तो यह चलचित्र की तरह सभी सवालों के उत्तर दिखा देती है और जो भी आपका प्रश्न है उसका उतर दिखा देती है | कई बार कान में आवाज भी दे देती है जो आप जानना चाहते हैं | ऐसा बहुत बार परखा गया है |
2. इस साधना से किसी भी शारीरिक दर्द का इलाज किया जा सकता है | दर्द चाहे कहीं भी हो इस मंत्र को पढ़ते हुए यदि कुछ देर दर्द वाली जगह पर हाथ फेरा जाए तो कुछ ही मिनटों में दर्द गायब हो जाता है |
3. इससे किसी भी भूत प्रेत को शांत किया जा सकता है | इस मंत्र से बतासे अभिमंत्रित कर रोगी को पहले एक दिया जाता है, फिर दूसरा और फिर तीसरा और उस पर जो भी छाया होती है वह उसी वक़्त सवारी में हाजिर हो जाती है | तभी उससे पूछ लिया जाता है कि उसे क्या चाहिए और कहाँ से आई है, किसने भेजा है आदि आदि और फिर उसे और बताशा दिया जाता है | जिससे वह शांत होकर चले जाती है | इस तरह बहुत बार परखा गया है | यह बहुत ही आसान साधना है | भूत प्रेत भगाने और अगर देवता की क्रोपी भी है इस विधि से वो भी बता देते हैं कि उन्हे क्या चाहिए | इसका प्रयोग सिर्फ अनुभवी व्यक्ति ही करे | इसका एक अलग विधान है |
यह  कैसे करना है |
इस साधना को होली और फिर आने वाले ग्रहण में करें | जितनी बार भी की जाती है इसकी शक्ति  बढ़ती है |
4. यदि इसे अनुष्ठान रूप में स्वा लाख जप लिया जाए तो व्यक्ति हवा में से मनचाहा भोजन प्राप्त कर सकता है | जब अनुष्ठान के रूप में की जाती है तो साधना समाप्ती पर दो आदमी प्रकट होते हैं जिनके हाथों में बाजे होते हैं | जब वह दिखे तब सवाल जबाब कर लेना चाहिए | उसके बाद वह शून्य में से पदार्थ प्राप्त करा देते हैं | हमारे संत बताते थे कि इससे स्वर्ग तक की चीजें भी प्राप्त कर सकते हैं और हर प्रकार का स्वादिष्ट भोजन भी | कई साधू लोग इसी के बल पर जंगल में बैठे बढ़िया भोजन प्राप्त कर लेते हैं | इसका अनुष्ठान 40 दिन में सवा लाख मंत्र जपे करें  | अगर किसी कारण पहली बार सफलता न मिले तो घबराए न, दोबारा  करें , यह अनुभूत है |
इस साधना के मैंने बहुत  लाभ प्राप्त किए हैं | यह भूत भविष्य दर्शन की एक बेजोड़  साधना है | इसका साधक कभी भूत प्रेत के चक्र में नहीं फंसता और अपनी व अपने सभी साथियों की सुरक्षा कर लेता है |
इससे किसी के भी मन की बात जान सकते हैं और उसे अपने अनुकूल बना सकते हैं और यह साधना घर से गए व्यक्ति का पता कुछ ही मिनटों में लगा लेती है |
कुछ ही दिन करने से इस साधना की दिव्यता का स्वयं पता चल जाता है |
विधि
1. इस साधना को सफ़ेद वस्त्र धारण कर करें |
2.आसन सफ़ेद हो |
3.माला सफ़ेद हकीक की लें |
4.दिशा उत्तर रहे |
5.अगर होली या ग्रहण पे कर रहे हैं तो 11 माला कर लें | मगर इससे पूर्ण लाभ नहीं मिलेंगे,  सिर्फ आने वाले समय के बारे में स्वप्न में जानकारी मिल जाएगी और किसी प्रश्न का उतर पता लगाया जा सकता है |
6.अगर इसे अनुष्ठान के रूप में करते हैं  तो जो उपर कहे सभी लाभ मिल जाते हैं |
7.आसन पर बैठ जाएँ | पहले गुरु पूजन और गणेश पूजन कर फिर शिव आज्ञा या गुरु आज्ञा लें और अपने सामने एक कागज पर थोड़े चावल, चीनी और घी जोकि गाय का हो रख लें | कागज पर बस थोड़ा थोड़ा ही डालें और मंत्र जप पूर्ण होने पर उसे किसी चोराहे पर छोड़ दें और घर आकर मुह हाथ धो लें | इस तरह यह साधना सिद्ध हो जाती है | अगर सवा लाख कर रहे हैं तो यह सामग्री रोज भी ले सकते हैं और पहले या अंतिम दिन भी ले सकते हैं | जैसी आपकी इच्छा कर लें मगर इस सामग्री को बिना रखे साधना न करें , नहीं तो शरीर मिटटी के समान बेजान सा लगता है जब तक आप यह पुजा नहीं रखते |
8.जब किसी के घर जा रहे हैं अगर कोई बुलाने आया है कि हमारा घर देखो क्या हुआ है तो इस मंत्र से कुछ बतासे पढ़ कर छत पर डाल दें या फिर चौराहे पर छोड़ दें और फिर जाएँ या  7 बतासे लेकर उन्हे पढ़ कर उन में से चार छत पर डाल दें,  बाकी तीन साथ ले जाएँ और रोगी को एक एक करके दे देने से वो ठीक हो जाता है या उस पर अगर कुछ होगा तो  बोल देगा |
9.साधना काल में शुद्ध घी का दीपक जलता रहना चाहिए और अगरबत्ती आदि लगा दें |
10.  साधना काल में ब्रह्मचर्य  का पालन अनिवार्य है |
साबर मंत्र
|| ॐ नमो परमात्मा मामन शरीर पई पई कुरु कुरु स्वाहा  ||

अघोरी भूत साधना

मंगलवार या शनिवार के दिन , कृष्णपक्ष से रात्रि के समय , लाल या काले आसन पर बैठ कर नित्य ही ११ माला का जप करे ! अपने सम्मुख अघोरी आत्मा हेतु एक मिट्टी के कुलहड़ में देसी शराब , श्वेत फूलो की माला , मिठाई -नमकीन आदि रखे ! गूगल की धुप और कडुवे तेल का गिरी हुए बत्ती का दीपक अवश्य प्रज्ज्वलित रखे ! जब जप पूर्ण हो जाये ,, तो ये सभी सामग्री किसी चौराहे पर या किसी पीपल के पेड के नीचे चुपचाप से रख आये और हाथ-पैर धोकर सो जाये ! ७वे दिन मत जाये ! तब किसी अघोरी की आत्मा आएगी और सामग्री न देने का कारन बहुत ही कड़क शब्दों में पूछेगी.....! घबराए नहीं और उत्तर भी मत देना और जो पूर्व दिन की बची सामग्री है -[जो देनी थी] वो दे दे .......! कुछ भी प्रशन न करे और न ही किसी प्रश्न का उत्तर दे !
अब जप के पश्चात् जो सामग्री-[वर्तमान दिन...यानि ८ वे दिन की है ] है ...फिर से चौराहे पर या पीपल के पेड के नीचे रख आये ! ...ये क्रिया या साधन ११ दिन तक होगा ! और ११ वे दिन अघोरी की आत्मा आएगी और सौम्य भाषा -शब्दों में वार्ता करगी ....! उससे अपनी बुद्धि के अनुसार वचन आदि लेना ! ये आत्मा साधक के अभिष्टों को पूर्ण करेगी ! जब भी किसी कुल्हड़ में देसी शराब और नमकीन -मिठाई अघोरी के नाम से अर्पित करोगे तो वो सम्मुख आकर साधक की समस्या का निवारण भी करेगी .....! स्पष्ट है की अघोरी की आत्मा साधक के आस-पास ही रहेगी ........!मंत्र:-
आडू देश से चला अघोरी , हाथ लिये मुर्दे की झोली , खड़ा होए बुलाय लाव , सोता हो जागे लाव ,
तुझे अपने गुरु अपनों की दुहाई ,, बाबा मनसा राम की दुहाई !

पिशाच साधना

यह भी भूत की तरह ही एक
योनि होती है,पर अत्यंत बलिष्ठ,अत्यंत
मजबूत और द्र्ढ निच्छय युक्त , अगर साधक इसे सिद्ध करले और इसे आज्ञा दे दे तो सामने चाहे पचास शत्रु , बंदूक या पिस्तोल लाठी या भाले लिय हुए खड़े हो तो उसे पाच मिनट मे ही
भगा देता है , इसका क्षमता बहोत भयंकर
होता है .......... यह साधक को 24 घंटे
अदृश्य रूप मे मित्र के तरहा रहेता है और
बुलाने पर हर आज्ञा का पालन करता ही है .......
साधना विधि-
कृष्ण पक्ष के शुक्रवार को साधक दक्षिण
को मुख करके गुरु जी से आज्ञा लेकर
नग्न अवस्था मे साधना मे बैठे,आसन काले रंग
का हो और सामने स्टील या तांबे के
प्लेट मे सिंदूर मे चमेली का तेल मिलाकर पुरुष
आकृति बनाये,पुरुष आकृति मे
हृदय का पूजन करे.इस साधना मे रुद्राक्ष
या काले हकीक का माला आवश्यक है,गुरुमंत्र
के जाप होने के बाद साधक पिशाच
मंत्र का 21 माला जाप करे,येसा 3 शुक्रवार
तक रात्रि मे 10 बजे के बाद साधना
करने से पिशाच साधक के सामने प्रत्यक्ष
होता है और वचन मांगता है,पिशाच सिद्धि सिर्फ 3-4 शुक्रवार करने से पिशाच सिद्ध होकर हमारा मनचाहा कार्य सम्पन्न करता है.
॥ ऐं क्रीं क्रीं ख्रिं ख्रिं खिचि खिचि पिशाच
ख्रिं ख्रिं फट ॥

जिन्न परी साधना

॥ साधना विधि॥
इस साधना को आपको श्मशान में करना है। यह मात्र1 दिन की साधना है। आपको पूर्णिमा पर इस साधना को करना होगा,क्योंकिइस दिन यह पवित्र योनिआँ अति शक्तिशाली होजाती हैं और अपने पूर्ण प्रभाव के साथ सिद्ध होती हैं। आपको करना क्या है किस्नान करके श्मशान में रात के पूरे10 बजे प्रवेश करना है। उत्तर दिशा कीओर मुख कर इस साधना को करना होता है। सबसे पहले आसन जाप पढ़ना है और फिर शरीर कीलन मंत्र पढ़कर अपने चारों ओर लोहे की छुरी से एक गोल चक्र बनाना है। इसके पश्चात लोहबान की अगरबत्ती जलाकर गुरु एवं गणपति जी का मानस पूजन करना है और उनसे साधनाहेतु आज्ञा माँगनी है। अब आपको मंत्र जप प्रारम्भ करना होगा,जिसमेंआप रूद्राक्ष की माला का प्रयोग करेंगे जोकि प्राण-प्रतिष्ठित होगी। इस साधना मेंआसन एवं वस्त्र श्वेत होंगे। आपको लगातार मंत्र जप करते जाना है जब तक कि परीहाज़िर ना हो जाए। जैसे - जैसे आप मंत्र जप करते जाएँगे वैसे - वैसे सारा श्मशान जागृत होता चला जाएगा। कभी आपके सामने अति क्रूर इतर योनिआँ आएगीं और आपके उपर झपटेगीं,तो कभी जंगली जानवर और अन्य जीव आपकी साधना खंडित करने की कोशिश करेंगे। आपको बस किसी भी हालत में उस सुरक्षा चक्र से बाहर नहीं आना है नहीं तोवो इतर योनिआँ आपको नुकसान पहुँचा सकतीं हैं और आप पागल भी हो सकते हैं। अगर आप अपनी साधना से विचलित ना हुए तो कुछ देर के बाद सारा श्मशान शांत हो जाएगा और आपकोआसमान से नीचे की ओर आती हुई एक परी नज़र आएगी जो बहुत ही सुंदर होगी। जब वो आपकेपास आए तो पहले से लाकर रखे हुए गुलाब के पुष्पों की वर्षा उसके उपर कर दें और उससे वचन माँगे कि " आप मुझेवचन दें कि मैं जब भी इस मंत्र का
एक बार उच्चारण करूंगा आपको आना होगा और जो मैंकहूँगा वो करना होगा
तथा आपको आजीवन मेरे साथ मेरी प्रेमिका के रूप में रहना पड़ेगा "। इस तरह वो परी आपके वश में हो जाएगी और आप उससे कुछ भीकरवा सकते हैं।
॥मन्त्र॥---बा हिसार हनसद हिसार जिन्न देवी परी ज़ेर वह एक खाई दूसरी अगन पसारी गर्व दीगर जां मिलाईके असवार धनात॥

क्रोध मंत्र

आज मेँ एक अचूक मंत्र देना चाहता हुं, जो आपको सिद्धि प्रदान करेगा ही करेगा।भूतडामर तंत्र और किँकिणी तंत्र मेँ ए मंत्र है।दोँनो किताब का मंत्र थडा सा अलाग है पर देखने पर एक ही मंत्र है।इसमेँ दया भाव से इष्ट को प्रकट नही किया जाता बलकी मार पीट कर जबरन प्रकट होने के लिए बेवस किया जाता है।इष्ट अगर ना आए तो भीषण दंड पाता है और नरक मेँ जा गीरता है।इसको क्रोध मंत्र कहा जाता है।क्रोध भैरव को कौन नही डरता है स्वयं शनि देव का भी हिम्मत नही होता की,क्रोध भैरव के उपासक को कुछ कष्ट दे पाये।आप अगर पुजा साधना किया तब भी अप्सरा,यक्षिणी बेताल,परी और देवी, देवता आपको दर्शन नही देया हो तो क्रोध मंत्र से दूवारा साधना करेँ,इस बार उनको आना ही पडेगा।पहले ए मंत्र उनको बंध लेता है फिर धीरे धीरे बज्र अग्नि मेँ जलाना शुरु कर देता है और जीसके फल स्वरुप उनको भीषण कष्ट भोगना पडता है और आँख फट जाता है ,शरीर खंड खंड हो जाता है फिर नरक मेँ जा कर गीरते है।उनको ए सब भोगने से पूर्व ही साधना करेने बाले के पास प्रकट होकर मंत्र जाप को विराम देते है।साधना करने के लिए कई भी दिन चलता है।सर्फ मंत्र का जाप करना है और उस देवी, देवता,अप्सरा,यक्षिणी,बेताल,परी और भूत, प्रेत का नाम लेना है मंत्र के अमुक स्थान पर।मंत्र तंत्र कई खेल नही है,साधना करने बाले को कोठर हुदय बाला होना चाहिए।इसमेँ एक बात बोल दू भूत प्रेत का कई नाम नही होता तो किया करेँ,अमुक के स्थान पर भूतेश्वरी (प्रेत)और भूतेश्वर या भूतनाथय (भूत) का नाम ले। ।आप चाहे तो सीधे भूत प्रेत भी बोल साकते है।ए साधना एक रात का है।हा अगर आप का मन किसी लडकी के पास है और शरीर मंत्र जाप कर रहा है तो ए मंत्र भी बिफल होगा।मन और तन का ध्यान सिर्फ अपनी मंत्र और इष्ट पर केँद्रित होना चाहिए।मेँ भूतडामर का मंत्र नही दे रहा हु पर किँकिणी तंत्र का मंत्र दे रहा हु।ए एक दिन का साधना है।मंत्र जाप संख्या आठ हजार है ।।मंत्र-ॐ कट्ट कट्ट अमुक ह्रीँ यः यः हुं फट॥ध्यान दे ए मूत्यु दंड मंत्र है, आपका इष्ट प्रकट होकर आपका शर्त मान ले फिर भी मंत्र जाप करते रहे तो वह आपके सामने जलकर राख होजाएगा।इसका अर्थ वह नरक मेँ चला जाता है और कष्ट भोगता है।

विलासिनी यक्षिणी साधना

नदी तट पर बैठकर इस मंत्र का 51 हजार जाप किया जाये और इसके बाद घी और गुग्गल को मिलाकर इस मंत्र की दस हजार घी से हवन करेँ तो यक्षिणी प्रसन्न हो जाये। मंत्र-ॐ ह्रीँ दुरजाक्षिणी विलासिनी आगच्छ गच्छ ही प्रिये मेव कले स्वाहा॥

शोभना यक्षिणी साधना

लाल रंग का वस्त्र तथा माला पहनकर 14 रोज उपरोक्त मंत्र का जाप करने से भोग देने बाली शोभना यक्षिणी सिद्ध होकर साधक को समस्त सुख प्रदान करती है। मंत्र-ॐ अश्क पल्लावार कर तले शोभनीय श्री क्षः स्वाहा॥

कालिका यक्षिणी साधना

गौशाला के भीतर जाकर इस मंत्र का सवा दो लाख जाप करेँ और बीस हजार मंत्र से घी का हवन करेँ तो यह यक्षिणी सिद्ध हो और जो माँगे वही देवे।यह प्रयोग केवल मंगलवार से शुरु करना चाहिए। मंत्र-ॐ कालिका देव्यै स्वाहा॥

भणडाराटल यक्षिणी साधना

यह मंत्र 8000 बार जाप करना चाहिए।यह प्रयोग 30दिन तक करना चाहिए।प्रतिदिन जाप मंत्र जाप करने से यक्षिणी दर्शन देँगी। मंत्र-ॐ नमो रक्तेष्ते चांडालिनी क्षोभिणी दह -दह-द्रवअन्नतम॥

पद्मिनी यक्षिणी साधना

भोजपत्र पर केसर से यक्षिणी का चित्र बना करके चन्दन चावल पुष्प और धूप से एक मास तक तीनोँ काल मेँ उपरोक्त मंत्र से तीन हजार जाप करना चाहिए पुनः अमावस्या के देन विधिपूर्वक पूजा करके रात मेँ घी का दीपक जलावेँ और सम्पूर्ण रात जाप करता रहे।इस साधना से प्रातःकाल यक्षिणी आती है। मंत्र-ॐ आगच्छ ह्रीँ पद्मिनी स्वाहा॥

महा यक्षिणी साधना

इस प्रयोग को रविवार से शुरु करना चाहिए और अनुष्टान करने से तीन दिन पूर्व उपवास रखना चाहिए और चन्द्रग्रहण अथवा सूर्य ग्रहण के आरम्भ से लेकर अन्त तक अर्थात जब तक ग्रहण लगा रहे इस मंत्र का जाप करने से महायाक्षिणी वश मेँ हो जाती है। मंत्र-ॐ ह्रीं महायक्षिणी भामिनी प्रिये स्वाहा॥

शंखिनी यक्षिणी साधना

बट वृक्ष के नेचे बैठकर सूर्य डूबने से पूर्व इस मंत्र का तीन हजार जाप समाप्त करेँ और उसी स्थान पर तेल लेकर एक हजार मंत्र से हवन करेँ इससे शखिनी यक्षिणी प्रसन्न होती है। मंत्र-ॐ शंख धारणी शंख चारणी ह्रां ह्रां क्लां क्लीँ श्री स्वाहा ॥

चान्द्रिका यक्षिणी साधना

बट वृक्ष के नेचे बैठकर सूर्य डूबने से पूर्व इस मंत्र का तीन हजार जाप समाप्त करेँ और उसी स्थान पर तेल लेकर एक हजार मंत्र से हवन करेँ इससे चन्द्रिका यक्षिणी प्रसन्न होती है। मंत्र-ॐ ह्रीँ चन्द्रिका स्वाहा

एक दिन मेँ हर सिद्धि प्राप्ति साधना

यह एक दिवसीय साधना है।शमशान मेँ करने पर जितने भी शमशानवासिनी है,वह वश मेँ होते है।रात्री कालिन साधना है।दिन, वार,शुभ,अशुभ और तिथि देखने का कोई जरुरत भी नही है,जिस दिन मन किया उसी दिन साधना करने पर सफलता हाथ लगता है।वीर बेताल(जिन्न), बीर बेताली(जिन्नानी),भूत ,प्रेत,भूतनी,डाकनी,हाकिनी,लकनी,शाकनी, मसान, भैरव भैरवी,परी,यक्षिणी और अप्सरा इन मेँ से कोई एक दर्शन देता है।इस साधना मेँ ए तय नही है की कौन प्रथम दर्शन देगा,जो भी दर्शन देगा वह हर मनोकामना पूर्ण करने मेँ समर्थ होगा।अगर प्रथम जो भी दर्शन दे और उस्से वारदान पाने के बाद,और किसी का भी दर्शन की चाहत जागे तो उसी रात वह भी पूर्ण होगा।इसमेँ एक रात मेँ पूरी जिंदिगी के जितने सपने है और इच्छा है वह एक रात मेँ सत्य होँगे और जितने बडे खुआइस है, वह भी मिनटो मेँ पूरे होँगे।साधना करेने के लिए हिम्मत और हौसला चाहिए।डर के आगे जित है।साधना करने के लिए प्रथम किसी मंदिर मेँ जाकर मंत्र को पाँच सो जाप करके सिद्ध कर ले।कुछ चंदन लकडी का चूर्ण चाहिए और कुछ तिल चाहिए।शमशान मेँ प्रथम कुछ आम के लकडी या फिर जो भी लकडी मिले जामा करके उस मेँ आग लगाए और सामने बैठ कर धूप जालाकर एक केले मेँ गाढ दे।तिल और चंदन लकडी को मिलाकर, आग मे अहुती देते जाए,कुछ ही मिनटो मेँ एक वीर बेताल, वीर बेताली या कोई हो प्रकट होगा और वरदान माँग ले। अगर और किसी का दर्शन की चाहत है तो आसन से उठे नही फिर से मंत्र जाप करते हुए अहुति देते जाए फिर और कोई प्रकट होगा,इस तरहा एक रात मेँ एक के बाद एक को प्रकट कर के हर इच्छा को सच कर साकते है। मंत्र-ॐ क्रौँ डोँ म्रोँ

त्रिलोँक वशिकरण साधना

इस मंत्र से सभी प्रकार का वशिकरण किया जा साकता है।घर पर अगर कई भी आप का बात नही मनता या पडोस के लोँग आप से बात नही करते तो ए मंत्र आपके लिए है।यह मंत्र स्वयं सिद्ध है।अगर मंत्र सिद्ध करने के बाद(मंत्र सिद्ध है,फिर भी)प्रतिदिन जाप करने से, आप मेँ वह शक्ति आजाईगी की देखने भर से सामने खडा इंसान वशिभूत होजाएगा।नौकरी के स्थान पर आपके मालिक आपके उपर हमेसा मेहरबान रहेँगे और साथ मेँ काम करने बाले आपके साथी हमेसा आपसे मिठी मिठी बात करेँगे।किसी को देख कर मन ही मन मंत्र जाप किया जाए तो वह तूरन्त आपके वशिभूत होजाएगा।आप सभी ने CHINA VS INDIA चलचित्र देखा होगा यह मंत्र प्रतिदिन सर्फ 15 मिनट जाप करके देखे और आप उस चलचित्र के खलनायक के तरहा, देख कर, किसी को भी, वशिभूत कर के, कुछ भी करबा साकते है। आज कल के बेटा बेटी अपने माँ बाप को घर से निकाल देते है।इस तरहा का घटना आज कल हर गाँ और शहर पर देखने को मिलजाएगा।अगर कोई बूर्जूग ए दिन ना देखे तो ए मंत्र प्रतिदिन जाप करेँ, ताकी उनके परिवार के लोँग उनका मानसम्मान करेँ और मूत्यु तक पालन पोष्ण करेँ।ए मंत्र को सिर्फ जाप करना है।इसमेँ देवी देवता का भी दर्शन होँगे और स्वर्ग प्राप्ति भी होगा।देवी देवता का दर्शन चाहते है तो मंदिर और घर पर देवी देवताओँ के चित्र को देख कर ए मंत्र जाप करेँ।कुछ दिनोँ मेँ वह देवी देवता किसी भी रुप मेँ आकर दर्शन देँगे॥पहले दिन सिर्फ पाँच सो मंत्र जाप करना है फिर प्रतिदिन जितना चाहे उत्तना जाप कर साकते है,कम से कम एक माला जाप करना चाहिए॥ए मंत्र कामाक्षा तंत्र से लिया गया है। मंत्र-ॐ म्रों

माया सिद्धि प्राप्ति

माया करना एक अद्भूत विद्या है।ए विद्या का जिक्र रामयण से लेकर महाभारत काल तक हमरे ग्रंथ मेँ वर्णन मिलता है।महाभारत मेँ माया से मायामहल निमार्ण का एक कहानी है।माया विद्या से कुछ भी किया जा साकता है,रुप परिवर्तन कर लेना,शरीर का आकार विशाल कर लेना,रेगिस्थान मेँ तालाब सुष्टि कर लेना ,अदुश्य हो जाना,अकाश मेँ विचरण करना और जल पर चलना,या जल के अंदर घंटो घंटो रहना,ए सब माया विद्या के अंतर्गत आता है।माया से किसी को भी भ्रमित् किया साकता है।जाहा पर कुछ ना हो वाहा पर कुछ भी देखाया जा साकता है,जेसे बन,फल या बहुत से पशु पक्षी ।देवी,देवता या असुर हो इस विद्या मेँ खूब महीर थे।अपनी जीवन का भी रक्षा अति असानी से भी किया साकता है,अपने शत्रु को भूत प्रेत का भ्रम देखा कर उसका घर बेचने को बेबस किया जा साकता है।इस विद्या मेँ लाभ अनेक है।लेखने बैठे तो रात से सुबह हो जाएगा।इस विद्या का साधना करने के लिए, अपने पर और अपने मंत्र साधना पर विश्वास होना जरुरी है ,बर्ना इसमेँ सफलता के स्थान पर विफलता हाथ लगता है।सुबह या रात्री मेँ स्नान करने बाद देवा दी देव महादेव को फुल और बेल पत्र दे कर पुजा करने के बाद सर्फ इस मंत्र को जाप करना है।21 दिन का साधना है। मंत्र-ॐ महामाया, माया यक्षिणी माया सिद्धि देही देही भगवान्नाज्ञापयासि ॐ ह्रीँ ह्रीँ नमः स्वाहा॥ प्रतिदिन दस हजार जाप करना है।साधना के अंत मेँ यक्षिणी दर्शन देगी और मनोकामना पूर्ण कर चली जाईगी।

माँ बगलामुखी साधना

यह मंत्र हर समस्याएँ दूर करता है।बगलामुखी पहले कृत्या रुप मेँ पुजी जाति थी।मंत्र जाप से ही समस्त समस्याएँ दूर होता है।शत्रु के सामने मन ही मन ए मंत्र जाप करेँ,शत्रु का स्तम्भन होगा और आपके बात ध्यान से सुनेँगा एवं आपके बात पर अपत्ती नही करेँगा।कोट कचरी या फिर जीवन मेँ कई भी समस्या आए तो माँ भगवती बगलामुखी का ए मंत्र पवित्र होकर कुछ माला जाप करेँ,जीवन का हर कष्ट का निवारण होगा।ध्यान रहे ए मंत्र मेँ -सर्वदुष्टानाँ-स्थान पर शत्रु का नाम भी ले साकते है,जिसको कष्ट देना चाहते है या फिर मूत्यू देना चाहते है। ।मंत्र-ॐ ह्रीँ बगला मुखि सर्व दुष्टानाँ वाचं मुखं पदं।स्तम्भय जिँव्हा कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीँ ओँ स्वाहा।।

विवाद जय वर्धन यंत्र मंत्र

जमीन विवाद,धन दौलत का विवाद या फिर कोट कचरी का मामला जीतना जालदी हो, नीपटारा हो जाए उतना ही अच्छा है ।अगर ए सब मामला श्रीघ्र ही दुर किया ना जाए तो एक पक्ष का मौत होना तय है।ऐसा दिन देखने से पर्व शत्रु को पराजय कर अपने काबू मेँ कर लेने से, स्वयं ही इस मामला से दुर हट जाता है,इसमे दोनोँ पक्ष मेँ शांति का महोल बन जाता है और दोनो या दोनो परिबार आपने आपने रास्ते खुशि खुशि रहने लागते है।शत्रु अगर ताकतवर हो तो उस के उपर विजय पाना ना मुमकिन है।इस समय एक ही उपाए होता हे शत्रु खूद ही इस मामले से हट जाए। इस के लीए ए उपाए आजमाए।काही से एक चार कोने वाला, एक पथर का जुगाड कर ले और उसमेँ हरिताल से ए मंत्र लिखे-अभिजीत अपराजीत अमुकस्य जय भवतू।अमूक मेँ अपना नाम लिखे।उसके बाद उस पथर को किसी नीर्जन स्थान पर उलटा कर रख दे और प्रतिदिन सुबह और संध्या पथर को पुजा कर के एक माला मंत्र जाप करेँ।तीन दिन मेँ शत्रु हार मानेगा और आपके जीवन से दुर चला जाएगा। मंत्र-ॐ नमो अभिजीत अपराजिताये,अमूकने अमूके जयं भवतू,जयं भवतू,जय भवतू नमः॥(अमूकने मेँ शत्रु का नाम और अमूके मेँ अपना नाम बोले)

अपने हर इच्छा को सत्य करने का साधना

हर मनोकामना और हर इच्छा अपने मूताविक कुछ दिनोँ मेँ सत्य कर पाएंगे।ए साधना करने पर वह सपना सत्य होगा जो आप चाहते है।उदाहरण-कर्ज मुक्ति मेँ सफलता,नौकरी मेँ सफलता,गीत गाने मेँ हर समये काम पाने मेँ सफलता , अभिनेता,अभिनेत्री या फिर कई भी इच्छा हो सिर्फ सिर्फ कुछ दिनोँ मेँ वह पा लेँगे।अगर मन मेँ दूढ निशचय करके ए सिद्धि करने पर , जो आप चाहते है वह मीलेगा ही मीलेगा।यह मंत्र हर बार परिक्षण मेँ सफल रहा है।जो भाग्य मेँ नही होता उसी को साधना द्धूरा अपना भाग्य बना लेना ही, मंत्र, तंत्र ,यंत्र कहलता है।सिद्धि करने के लीए कुछ समय प्रतिदिन चाहिए।सुबह और संध्या मेँ नहाकर अपनी पुजा घर मेँ कई भी देवी देवता के चित्र के सामने बैठ जाए और धूप दीप देकर आँख बंद के सिर्फ 15 मिनट मंत्र जाप करेँ। मंत्र-ॐ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय मम अमूकं अभिलाष पूर्ण कुरु कुरु ॐ॥ (अमूक स्थान पर अपनी इच्छा बोले)

भूत प्रेत को अंत करने का मंत्र

भूत, प्रेत, देवी, देवता, यक्ष, यक्षिणी और बेताल या कई भी आत्मा हो, उनको जला कर रख किया जा साकता है।ए मंत्र भूत डामर तंत्र किताब मेँ है।दुनिया मेँ बहुत से घर और स्थान है, जो भूतिया है। अगर किसी को लगता की वह घर या स्थान को भूत प्रेत से मुक्ति दिलाई जाए तो ए मंत्र उस स्थान या घर पर जाप करते जाए, कुछ समय मेँ ही, वह स्थान या घर रहने योग्य हो जाएगा वहा के सारे भूत प्रेत भाग जाएंगे या जल कर रख हो जाएंगे। इस मंत्र को 30 हजार जाप करके सिद्धि कर ले तो बाद मेँ सिर्फ जाप करने से ही भूत प्रेत का अंत हो जाएगा।अगर किसी को ए मंत्र सिद्धि नही है, वह चिँता ना करेँ सीधे मंत्र जाप करेँ और लाभ पाए। मंत्र- ॐ वज्र-ज्वालेन हन-हन सर्वभूतान हूँ फट्

देवी कृत्या साधना

कृत्या साधना, एक उच्चकोटि का साधना है।शत्रु नाशक, हर आपद नाशक और जो भी आपद बिपद सब का नाश होता है।कारोबार और किसी भी चिज पर वाधा आ रही हो तो कृत्या का उपासना से हर वाधा दुर होता है।कृत्या सिद्धि होने पर धन की कमी नही रहता है।देवी साधक का रक्षा के साथ उसका परिवार का भी रक्षा करती है।जीसको कृत्या का कुपा प्राप्त हो उसका अपमूत्यु नही होता है।कृत्या साधना सिद्धि होने पर शत्रुओँ पर विजय प्राप्त करने वाला और मन से ,तान से अतिवालसाली हो जाता है।देवी को जो काम करने को बोला जाए वह खुशि खुशि उस काम को कर देती है,चाहे वह बुरा काम हो या अच्छा काम हो।साधक जीस तरहा का नौकरी या जीस वश्तू का चाहत करता है,देवी उस मनोकामना को मिनटो मेँ पुर्ण कर देती है।देवी के कुपा प्राप्ति के बाद साधक भोगविलास का जीवन जीने के बाद ही, कृत्या देवी के शरीर मेँ विलिन हो जाता है।साधना करने के लीए साधक कला वस्त्र का उपयोग करेँ और दक्षिण देशा के और मुँह कर बैठ जाए।आसन मेँ, काले कपडा ले।कडवे तेल का एक दीपक जालाकर अपने आगे रखे।साधना पुर्ण होने तक बह्मचर्य का पालन करेँ।साधना 21 दिन चालेगा।जब साधना पुर्ण होगा तब देवी दर्शन देगी।। मंत्र-ॐ कृत्या सर्व शत्रुणाँ मारय मारय हन हन ज्वालय ज्वालय जय जय साधक प्रिये ॐ स्वाहा॥

देवी गजवाइणी साधना

"देवी गजवाइणी हर मनोँकामना पुर्ण करने के साथ ही हर दुख हरण कर लेती है।देखने मेँ चंद्रमा के समान कांतिवाली, लाल वस्त्र और अभूषण धारणी स्थूल व उन्नत स्तनोँवाली है।इनका पुजा तामासिक रुप मेँ किया जाता है।तामासिक होने पर भी ए उग्र रुप मेँ दर्शन नही देती है।देवी अपने भक्त को सुंदर और मनोहर रुप मेँ ही दर्शन देती है।इनका साधना वही कर साकता है जो मछली का भोग करता हो,क्यो की इस देवी का मुख्य भोग मछली है।साधना भी मछली भक्षण कर के किया जाता है। साधना गुरुवार के दिन से ही करना है।इस देवी का पुजा का दिन भी गुरुवार है।रात को धूप दीप दे कर,अपनी आसन मेँ विराजमान हो जाए।भोग मेँ एक मछली अपने मुख के सामने ,एक पत्ता मेँ रख दे और खुद भी एक मछली का भक्षण कर ले।प्रतिदिन 31 माला जाप करना है।21 दिन तक ए साधना करना है।ध्यान रहे ए देवी सात दिन मेँ भी दर्शन दे साकती है,जब भी देवी आए तो आसन दे और फुलोँ से स्वागत करेँ फिर रखी हुई मछली देवी को दे।मछली का भेँट लेने का बाद जब वह वारदान माँगने को कहे तो कुछ भी माँग ले।देवी खुश होने पर इस दुनिया का हर असंभव को भी संभव कर देती है ॥ मंत्र-ॐ हौँ लूं हूं चामुणडायै गजवाइणी हुं ह्रीँ ठः ठः।।

छाया पुरुष साधना

छाया पुरुष का साधना करना मतलव अपने को पुजा करना है।हमरे एक हिँदु मंत्र है ॥सोSहम॥ देखने मेँ एक मामूली सा ,मंत्र लगता है, पर है नही।ईस मंत्र का अर्थ 'मेँ' दुसरा अर्थ मेँ ही सबकुछ हु।ईस मंत्र से अगर छाया पुरुष का साधना करना हो तो एक आईना आपने सामने रखे और आपना प्रतिबीम् को देखना है।आईना को ईस तरहा रखे की आपना मुख या पुरा शरिर देखाई दे।आईना के सामने बैठ कर अपने प्रतिबीम् को देख कर मंत्र का जाप करना है।प्रतिदिन एक घंटा ए प्रक्रिया करते रहेने से,आईना के प्रतिबीम मेँ जान आ जाएगा, फिर धीरे धीरे ए हिलना डोलना चालू कर देगा।कुछ दिन और बित जाने पर आपका छाया आईना से बाहर आ कर आप के सामने खडा हो जाएगा पर उस से कुछ बातचित नही करनी है,अगर वह आपसे बात करे तो भी कुछ कहना नही है,चूपचाप मंत्र का पाठ करते रहना है,जब वो कहे मुझसे किया चाहते हो, तो ही बात करे और अपना शर्त, उसके सामने रखे पर ध्यान रहे वह जब आपके सामने शर्त रखे तो कुछ भी बोल कर टाल दे और किसी भी किम्मत पर उसका शर्त कभी भी ना माने।वह छाया जो आपका है, इस तरहा आपका वश मेँ हो जाएगा और आपका हर आदेश का पालन करेगा।जब भी कुछ काम हो उसको कहे वह तुरन्त वह काम कर देगा।खाना से लेकर धन तक कुछ भी लाने को कहे, वह ला के देगा।इस छाया पुरुष को कभी भी गलात काम के उपयोग मेँ ना लाए।

मनोभैरव साधना

भैरव के अनेक रुप है।काल भैरव को ही तंत्र किताब मेँ आठ भैरव मेँ विभाजन किया गया है,पर आज एक ऐसा भैरव का जिक्र करना चाहता हु, जिसका किताब मेँ, नाम तो किया पुजा विधि भी नही मिलेगा।मनोभैरव तीन नेत्र वाले एक देव है।इनका अगर कुपा, किसी को मील जाए तो वह ब्रह्मा तुल्य हो जाता है।वाक सिद्धि,प्राप्ति सिद्धि यू कहे तो अष्टो सिद्धि का सिद्धि मीलता है।ए मंत्र कुछ घंटे मेँ अपना असर देखना सूरु करता है।प्रतिदिन सर्फ मंत्र का जाप करने से भी लाभ दो गुना मीलता है,धन लाभ,नौकरी प्राप्ति या मन मेँ जो भी ईच्छा है वह सत्य होने लगते है।अगर साधना किया जाए तो भैरव के दर्शन होते है और भैरव साधक के प्रोतेक ईच्छा को पुर्ण करते रहते है।साधना करने के लीए रात दस बजे से धूप दीप जाला ले और बटुक भैरव को जो दिया जाता है इसको भी वेसे भोग देना है।रोज भोग देना है और धूप दीप भी जलाना है।मंत्र को एक हजार जाप 21 दिन जाप करना है।जब मनोभैरव आए तो अपने ईच्छा बोल दे। मंत्र-ॐ वज्र मनोभैरवाय सर्व सिद्धि प्रदाय प्रदाय सर्व कार्य साधय साधय सर्व मनोरथ सिद्धि सिद्धि हुं हुं क्रीँ क्रीँ फट॥

हर काम महादेव पुर्ण कर देँ

भगवान महादेव और माँ गौरी से कुछ भी काम बोल व पुरी हो जाए।भोले बाबा तो भोले है, एक बेल के पत्ते से भी खुश हो जाते है।कुछ भी काम करने जाते है पर वह काम विगड जाता है या कोई भी अच्छे नौकरी पाना चाहते पर वह मील नही रहा हो या कोइ लडकी या लडका का विवाह के समय हो गया है पर रिसता तो आता है पर टुट जाता है या भरी भरकम कर्ज हो पर उसको चुकता कर नही पा रहे है तो प्रभु और माँता के शरण मेँ जाए तो फिर कोई भी काम हो महादेव और माँ पार्वती के कुपा से वह विगडता हुआ काम भी बन जाता है।ए मंत्र को सिद्धि करने बाद कुछ भी, काम मेँ पुर्ण सफलता मीलता है।करना किया है,घर पर महादेव और महदेवी दोनोँ एक साथ हो, इस तरहा का चित्र रख कर दीप धूप और उनको जो भोग लगता है दे,इसके बाद महादेव और महदेवी के चित्र के सामने वैठ जाए और मंत्र को दस हजार जाप करे,जाप परी होने पर एक सो आठ वार अहुति दे।इताना करने बाद मंत्र सिद्धि होता है। जब कोई भी काम हो उसमेँ पुर्णता प्राप्त करने चाहते है तो सिर्फ मंत्र जाप से वह काम पुर्ण हो जाएगा।अमुक स्थान पर काम का नाम ले । मंत्र-ॐ ह्रीँ श्रीँ ह र गौरी शंकराय मम अमुकं कर्म कुरु कुरु स्वाहा।।

दिगविजय मोहन मंत्र

इस मंत्र को कागज मेँ एक सो आठ खंड मेँ मंत्र लिख कर, मंत्र पढ कर एक एक कर अहुती दे।तब मंत्र जीवित हो कर काम करने लगता है।जब भी अवश्यक हो तब एक हजार मंत्र जाप कर के और एक सो आठ खंड कागज मेँ मंत्र लिखकर अहुती दे।तब स्त्री, पुरुष,शत्रु और कोई भी हो मोहित हो कर आप के हार काम करेगा और हार बात को मानने लगता है।कुछ भी कहने पर भी बुरा नही मान्नता है।कुछ भी आदेश देने पर खुशि खुशि उस आदेश को पालन करता है।इस मंत्र मेँ जीस स्थान पर अमुक लिखा है उस स्थान मेँ जीसको मोहित वश करना है, उस व्यक्ति का नाम लेना है। इस मंत्र से हर स्थान पर विजय प्राप्त होता है। मंत्र- ॐ नमो अरुद्दुति अश्वथनी अमुक छवि फट स्वाहा।

बेताल साधना-3

जो भी इसको सिद्ध कर ले वह कभी भी किसी के आगे हरेगा नही।100लोग भी उसका कुछ उखाड नही साकते।किसी भी द्रब्य का चीन्ता नही रहता। पल भर मेँ हर मनोकामना पुर्ण हो जाता है। मंत्र - ॥ॐ वश्यं ॐवश्यं वीर बेताल भूतनथाय मम वश्यं हुं फट॥

सर्व सिद्धि चंड मंत्र

देवी, देवता,भूत,प्रेत,यक्षिण का साधना करना हो या किसी इन्सान को अपनी वश मेँ करना हो लगभाग इस मंत्र से असानी से किया जाता है।जाप करके सिद्धि करने के बाद जो बाताया वह सब काम कुछ पाल मेँ किया जा साकता है। मंत्र-ॐ ह्रीँ रक्तचामुंडे कुरु कुरु अमुकीँ मेँ वशमानय स्वाहा

असाध्य रोग निवारण मंत्र

बहुत से रोग है, जो डाँक्टर से ईलाज करने पर भी कुछ लाभ नही होता।रोग का निवारण अगर नही हो पा रहा है तो इसमेँ डाँक्टर का दोष है या उसके दीया हुआ दवा का। खैर पुराने से पुराने कुछ भी बीमारी हो ए मंत्र जाप करने से दुर हो जाता है। हर दिन जाप करेँ रोग से मुक्ति पाए। मंत्र-ॐ नमो भगवती मूतसंजीवनी मम शान्ति कुरु कुरु स्वाहा

बटुक भैरव साधना-2

बटुक भैरव के इस मंत्र से दुसरे के जादु टोना खतम करना, नजर लगना,भूत प्रेत लगना और कुछ भी दोष हो वह दुर हो जाता है।छटे मोटे कुछ भी वाधा को मंत्र जाप करके पिडित इन्सान पर फुक मारने पर दुर हो जाता है। मंत्र-ॐ नमो भगवते श्रीबटुक भैरवाय परकुत्त जंत्र मंत्र तंत्र वाटकादी नाशकाय भूतजिँद प्रेत पिशाच डाकिनी शाकिनी मसनादी कुत्त दोषध्यं सकाय श्रीबटुकाय नमो नमः हुं फट स्वाहा

अष्टो भूतिनीँ साधना

आठ भूतिनी को एक वार मेँ सिद्धि किया जाए तो असंभव को भी संभव करने की शक्ति मील जाता है।कुवेर के तरहा इस संसार मेँ जीवन जीने को मिलता है।हर मनोकामना ए भूतिनीया एक पाल मेँ पूर्ण कर देती है। मंत्र-ॐ अष्टो भूतिनीँ ह्रीँ स्वाहा

जिन्न साधना

ए अमल एक दिन का है और बहुत ही असान है।इसको एक बच्चा भी कर साकता है,मुझको पसंद अया तो मेँ अमल दे रहा हु।शर्त ए हे की जीसके मन मेँ डर ना हो जो निडर हो वही ए अमल करेँ।एक दो घंटे का है, जादा से जादा तीन घंटा का अमल है। अमल करने से पहले अपने सुरक्षा के लीए सुरक्षा चक्र कर ले।ए मंत्र बार बार आजमाया गया है और हर बार बार काम किया है।अमल करने के लीए किसी शामशन मेँ जाए और धूप दीप दे कर,मंत्र जाप करे।मध्य रात्रि मेँ जीन्न के राजा हजीर होगा ।आगे किया करना है, बार बार वोल चूका हु। मंत्र-या रहमाँनू

शशि देवी मंत्र

मंत्र-ॐ ॐ श्रीं नमः

तिलोत्तमा देवी मंत्र

मंत्र-ॐ श्रीँ हां नमः

भूत देवी यक्ष मंत्र

मंत्र-ॐ जय जय भूत देवी यक्ष कुटी कुटी धीर धीर ज्वल ज्वल दिव्यलोचनि भगवन् आज्ञापतये स्वाहा

कुबेर देव मंत्र

मंत्र-ॐ सां सोमाय यक्षाधिपतये गदाहस्ताय नर वाहनाय सपरिवाराय नमः

इन्द्र देव मंत्र

मंत्र-ॐ लां इन्द्राय सुराधिपतये ऐरावत वाहनाय वज्रहस्ताय सशक्ति पारिषदाय सपरिवाराय नमः

ब्रह्मा देव मंत्र

मंत्र-आं ब्रह्मणे प्रजाधिपतये हंस वाहनाय पद्यहस्ताय सपरिवाय नमः

यम देव मंत्र

मंत्र-ॐ मां यमाय प्रेताधिपतये दणड हस्ताय महिष वाहनाय सायुधाय सपरिवाराय नमः

वायु देव मंत्र

मंत्र-ॐ वां वायवे प्रारणधिपतये हरिण वाहनायांकुश हस्ताय सपरिवाराय नमः

श्री मंत्र

मंत्र- ह्रीँ कएइल ह्रीँ हसकहल ह्रीँ सकल ह्रीँ

श्री तारा मंत्र

मंत्र-ॐ ऐँ क ह ल ह्रीँ ऐँ तारायै सिद्धिम देहि देहि ॐ ऐँ कह ल ह्रीँ ऐँ नमः

नौकरी प्राप्ति मंत्र

मंत्र-या महम्मद दीन हजराफिल भदवर अल्लाह हो

सर्वकार्य सिद्धि मंत्र

ॐ श्रीँ श्रीँ क्रीँ माया महिनी नमः।कार्य सफल कुरु कुरु स्वाहा

वीर बेताल साधना मंत्र

ॐ ॐ ह्रीँ ह्रीँ क्रीँ क्रीँ वीर बेताल आ आ बोली काहार आज्ञा महादेवक्कर कोटी कोटी आज्ञा

देवी त्रीपुरा मंत्र

ॐ ह्रीँ श्रीँ क्रीँ माहेश्वरी त्रीपुरायै मम अभीष्ट सिद्धियम कुरु कुरु नमः स्वाहा

महामृत्युञ्जय मंत्र

मंत्र-ॐ ह्रीँ श्रीँ महामूत्युञ्जय मम अकाल मूत्यु हरण कुरु नमः स्वाहा

महाकाली मंत्र

मंत्र-ॐ ह्रीँ क्रीँ कं कं महाकाली मम सर्वकार्य सफल कुरु नमः स्वाहा

यक्षिणी देवी साधना

मंत्र-ॐ षीँ स्वाहा

बेताल सिद्धि मंत्र -2

ॐ तारा नूरी ॐ

बटुक भैरव मंत्र

ॐ वं वं बटुकाय भैरवाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीँ ॐ नमः शिवाय॥

माँ कामाख्या मंत्र

ॐ क्षौँ ओँ ओँ वषट ठः ठः

चेतना मंत्र

ॐ हीँ ओँ ह्रीँ मम प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय हीँ ओँ नमः

शिव गायत्री मंत्र

शिवो रजसे शिवातुं

हनुमान साधना मंत्र

ए हनुमान के सुरत हाजिर हो स वाहक रामचंद्र जी महाराज॥

बेताल सिद्धि मंत्र

ॐ प्रीँ स्वाहा

क्रोध भैरव मंत्र

ॐ हुं हुं क्रोध भैरवाय क्रीँ क्रीँ फट॥

प्राप्ति सिद्धि

ॐ वीर हनुमान राम राम सर्व प्राप्ति प्राप्ति राम सीता राम॥

विकटमुखी वशिकरण मंत्र


यह मंत्र अद्भुत है स्वयं सिद्ध है आप सिद्ध करने कि जरुरत नही सिधे प्रयग मे लाय। प्रतिदिन इस मत्र से अन्न के सात ग्रास अभिमत्रित कर साध्य के रुप. नाम चिँनता कर भजन करे वो साध्य आपके वश मेँ होगा। इसमे सदेह करने का कई कारण नही है।लेकिन आप कुछ दिन तक आगर पाँच माल जाप कर यह प्रयग करे तो लाभ दोगुना होगा मंत्र-ॐ नमः कट् विकट घोररुपिणी स्वाहा

सर्वजन वशिकरण

यह एक भुत डामर तंत्र का सिद्ध वशीकरण प्रयोग हैं! इस मंत्र से आप अपनी माता ,पिता,भाई,बहन ,रिश्तेदार या किसी का भी वशीकरण कर सकतें हैं! इस मंत्र को सिर्फ ५०० बार रुद्राक्ष की माला से पूर्व या उत्तर दिशा में लाल रंग के आसन पर बैठकर जपने से आप किसी को भी अपने वशीभूत बना सकतें है!इसे सिर्फ ५०० बार जिसका ध्यान कर या जिसकी तस्वीर के सामने जपा जायेगा वे आपके वशीभूत होगा! जब तक काम ना बने जपते रहिये। दुसरा प्रयग- मन हि मन मेँ जाप करे और ध्यान करे जिसको आप वशिकरण करना चाहते हे वो आपका वश मेँ होगी या होगा। यह सिद्ध है आलग से सिद्ध करने कि जरुरत नही सिधा प्रयग मेँ लाय। मंत्र-म्रोँ ड़ोँ

चिँतन


आगर आप को कहा जाय कि आप हवा मेँ उड साकते है, पानी पर चाल साकते है, कुछ भी कर साकते है, आप कहगे पागल है, ऐसा होता है किया?? मेँ (रवि किसान) कहुगा तो पागल लेकिन कोई विदेसि कहेगा तो शाच है। आज हम हिप्नाटिज्म को जानते है, विदेश मेँ वह एक टाईमपास खेल है, लेकिन हम डरते है।भारत मेँ ईसको वशिकरण विद्या कहाजाता है।वशिकरण नाम मात्र से लौग भागने लागते है,किया ए भयकंर है,मेरा मानना है नही।आप एक नजर से देखते है,ईस लिय आप को ए भयकंर विद्या लागता है,दुसरी नजर से देखगे तो आपको ए हाथ का खेलना लागेगा।आज वशिकरण वादल कर हिप्नाटिज्म वान गया है। विना मंत्र के आज ए विद्या काम करता है,समय के साथ वादला और ईसान का विमारी दुर कर रहा है। डकटरी विद्या मेँ ए एक विषय है।तंत्र को विज्ञान के नजर से देखगे तो आप का कायाकल्प कर देगा। कुछ नया करना चाहते तो तंत्र को विज्ञान के नजर से देखे ,नाकि ढगी साधुउ के नजर से देखे।सम्मोहन विद्या मेँ सफलता पाने मे तिस दिन लगता है । आप को भि ए मान ले कि कई काम एक दिन मेँ पुरा नही होगी,प्रतिदिन साधना (प्रेकटिस) करनी होगी। तंत्र मेँ वादलव करे और नया खेज करे फिर उड पायगे, जल पर चाल पायगे कुछ भी कर पायगे, लागता है ना अजिव ,साच माने सव संभाव है। आगली वार विना मंत्र के मारण विद्या , लडकिउ कि सुराक्षा विद्या .....

विरभद्र साधना:-


भगवान वीरभद्र जो कि शिव शम्भू के अवतार हैं, उनकी पूजा-उपासना करने से बड़े-बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं, वीरभद्र, भगवान शिव के परम आज्ञाकारी हैं, उनका रूप भयंकर है, देखने में वे प्रलयाग्नि के समान प्रतीत होते हैं। उनका शरीर महान ऊंचा है,। वे एक हजार भुजाओं से युक्त हैं। वे मेघ के समान श्यामवर्ण हैं! उनके सूर्य के समान जलते हुए तीन नेत्र हैं। एवं विकराल दाढ़ें हैं और अग्नि की ज्वालाओं की तरह लाल-लाल जटाएं हैं। गले में नरमुंडों की माला तो हाथों में तरह-तरह के अस्त्र-शस्त्र हैं! परन्तु वे भी भगवान शिव की तरह परम कल्याणकारी तथा जल्दी प्रसन्न होने वाले है! उनकी निम्नलिखित साधना पद्धति से तत्काल फल मिलता है, "वीरभद्र सर्वेश्वरी साधना मंत्र" जो उनके "वीरभद्र उपासना तंत्र" से लिया गया है, एक स्वयं सिद्ध चमत्कारिक तथा तत्काल फल देने वाला मंत्र है, स्वयंसिद्ध मंत्र से तात्पर्य उन मंत्रो से होता है जिन्हे सिद्ध करने की जरुरत नहीं पड़ती, वे अपने आप में सिद्ध होते हैं, इस मंत्र के जाप से अकस्मात् आयी दुर्घटना, कष्ट, समस्या आदि से क्षण भर में निपटा जा सकता है, (उदाहरण- कार्यबाधा, हिंसक पशु कष्ट, डर! इत्यादि) ये तत्काल फल देने वाला मंत्र है, और साथ ही साथ ये बेहद तीव्र तेज वाला मंत्र है, इसे मजाक अथवा हंसी ठिठोली में कदापि नहीं लेना चाहिए, इसके द्वारा प्राप्त किये जा सकने वाले लाभ - (१). इस मंत्र के स्मरण मात्र से डर भाग जाता है, और अकस्मात् आयी बाधाओ का निवारण होता है. जब भी किसी प्रकार के कोई पशुजन्य या दूसरे तरह से प्राणहानि आशंका हो तब इस मंत्र का ७ बार जाप करना चाहिए. इस प्रयोग के लिए मात्र मंत्र याद होना ज़रुरी है. मंत्र कंठस्थ करने के बाद केवल ७ बार शुद्ध जाप करें व चमत्कार देंखे! (२). अगर इस मंत्र का एक हज़ार बार बिना रुके लगातार जाप कर लिया जाए तो व्यक्ति की स्मरण शक्ति विश्व के उच्चतम स्तर तक हो जाती है तथा वह व्यक्ति परम मेधावी बन जाता है! (३). अगर इस मंत्र का बिना रुके लगातार १०,००० बार जप कर लिया जाए तो उसे त्रिकाल दृष्टि (भूत, वर्त्तमान, भविष्य का ज्ञान) की प्राप्ति हो जाती है! (४). अगर इस मंत्र का बिना रुके लगातार एक लाख बार, रुद्राक्ष की माला के साथ, लाल वस्त्र धारण करके तथा लाल आसान पर बैठकर, उत्तर दिशा की और मुख करके शुद्ध जाप कर लिया जाये, तो उस व्यक्ति को "खेचरत्व" एवं "भूचरत्व" की प्राप्ति हो जायेगी! मंत्र इस प्रकार है -ॐ हं ठ ठ ठ सैं चां ठं ठ ठ ठ ह्र: ह्रौं ह्रौं ह्रैं क्षैं क्षों क्षैं क्षं ह्रौं ह्रौं क्षैं ह्रीं स्मां ध्मां स्त्रीं सर्वेश्वरी हुं फट् स्वाहा (Om Ham th th th seim chaam tham th th th hrah hraum hraum hreim ksheim kshom ksheim ksham hraum hraum ksheim hreeng smaam dhmaam streem sarveshwari hum phat swaahaa)

:ऋण मुक्ति भैरव साधना:-


: हर व्यक्ति के जीवन में ऋण एक अभिशाप है !एक वार व्यक्ति इस में फस गया तो धस्ता चला जाता है ! सूत की चिंता धीरे धीरे मष्तश पे हावी होती चली जाती है जिस का असर स्वस्थ पे होना भी स्वाभिक है ! प्रत्येक व्क्यती पे छ किस्म का ऋण होता है जिस में पित्र ऋण मार्त ऋण भूमि ऋण गुरु ऋण और भ्राता ऋण और ऋण जिसे ग्रह ऋण भी कहते है !संसारी ऋण (कर्ज )व्यक्ति की कमर तोड़ देता है मगर हजार परयत्न के बाद भी व्यक्ति छुटकारा नहीं पाता तो मेयूस हो के ख़ुदकुशी तक सोच लेता है !मैं जहां एक बहुत ही सरल अनुभूत साधना प्रयोग दे रहा हु आप निहचिंत हो कर करे बहुत जल्द आप इस अभिशाप से मुक्ति पा लेंगे ! विधि – शुभ दिन जिस दिन रवि पुष्य योग हो जा रवि वार हस्त नक्षत्र हो शूकल पक्ष हो तो इस साधना को शुरू करे वस्त्र --- लाल रंग की धोती पहन सकते है ! माला – काले हकीक की ले ! दिशा –दक्षिण ! सामग्री – भैरव यन्त्र जा चित्र और हकीक माला काले रंग की ! मंत्र संख्या – 12 माला 21 दिन करना है ! पहले गुरु पूजन कर आज्ञा ले और फिर श्री गणेश जी का पंचौपचार पूजन करे तद पहश्चांत संकल्प ले ! अपने जीवन में स्मस्थ ऋण मुक्ति के लिए यह साधना कर रहा हु हे भैरव देव मुझे ऋण मुक्ति दे !जमीन पे थोरा रेत विशा के उस उपर कुक्म से तिकोण बनाए उस में एक पलेट में स्वास्तिक लिख कर उस पे लाल रंग का फूल रखे उस पे भैरव यन्त्र की स्थापना करे उस यन्त्र का जा चित्र का पंचौपचार से पूजन करे तेल का दिया लगाए और भोग के लिए गुड रखे जा लड्डू भी रख सकते है ! मन को स्थिर रखते हुये मन ही मन ऋण मुक्ति के लिए पार्थना करे और जप शुरू करे 12 माला जप रोज करे इस प्रकार21 दिन करे साधना के बाद स्मगरी माला यन्त्र और जो पूजन किया है वोह समान जल प्रवाह कर दे साधना के दोरान रवि वार जा मंगल वार को छोटे बच्चो को मीठा भोजन आदि जरूर कराये ! शीघ्र ही कर्ज से मुक्ति मिलेगी और कारोबार में प्रगति भी होगी ! मंत्र—ॐ ऐं क्लीम ह्रीं भम भैरवाये मम ऋणविमोचनाये महां महा धन प्रदाय क्लीम स्वाहा !!

हनुमान साधना:-


ये साधना आप किसी भी मंगलवार से आरंभ कर सकते हे । साधना सुरू करने से पहले साधना शुद्ध जल से स्नान कर के साधना के लिए लाल वस्त्र एवं लाल आसान ओर लाल रंग का ही पोशाक पहने । इस साधना मे साधक को 11 दिन मंत्र का जाप करना हे । ओर इस तरह साधक को रोज 108 मंत्र यानि रोज 1 माला मंत्र का जाप करना हे । साधना के दौरान धूप, दीप, ओर खुशबूदार अगरबत्ती जलाए ओर ये साधना रात के समय ने ही करे । मंत्र :- ओम गुरूजी हनुमानजी कावल कुंडा हाथी खप्पर छडी मसान गुग्गल धुप जाप तेरा, तेरा रूप शाकिनी बांधू डाकिनी बांधू भूत को बांधू अटल को बांधू पाताल टेकरी को बांधू हनुमानजी के रोचना को बांधू, घर घर जाओ, ना माने चार गदा लगाओ, जेसे सीता माँ के सतको राखे वैसे मेरे सतको रखो, आवो आवो हनुमान घट्ट पिंड में समाओ हनुमान, हनुमान बेठे रानी आई, गदा बेठी, राजा ये मंत्रबहुतहीशक्तिशालीहेओरइससाधनाकरनेसेसाधनाकोहरपलआपनेपासभगवानहनुमानकोअपनेपासमहसूसपाओगे।औरसाधकहनुमानजीकीकृपासेसबखतरोंसेबचजाएगीजय

सर्व सिद्धि साधना


यह साधना मेरी ही नहीं कई साधको की अनुभूत है !काफी उच कोटी के संतो से प्राप्त हुई है और फकीरो में की जाने वाली साधना है !इस के क्यी लाभ है !यह एक बहुत ही चमत्कारी साधना है ! 1 इस साधना से किसी भी अनसुलझे प्रशन का उतर जाना जा सकता है !अगर इस को सिद्ध कर लिया जाए और मात्र 5 जा 10 मिंट इस मंत्र का जप कर सो जाए जा आंखे बंद कर लेट जाए तो यह चल चित्र की तरह सभी कुश दिखा देती है ! और जो भी आपका प्रश्न है! उसका उतर दिखा देती है !क्यी वार कान में आवाज भी दे देती है जो आप जानना चाहते है ऐसा बहुत वार परखा गया है ! 2 इस साधना से किसी भी शारीरिक दर्द का इलाज किया जा सकता है !दर्द चाहे कही भी हो इस मंत्र को पढ़ते जदी कुश देर दर्द वाली जगह पे हाथ फेरा जाए तो कुश ही मिंटो में दर्द गायब हो जाता है ! 3 इस से किसी भी भूत प्रेत को शांत किया जा सकता है!इस मंत्र से बतासे अभिमंत्रिक कर रोगी को पहले एक दिया जाता है फिर दूसरा और फिर तीसरा और उस पे जो भी छाया हो वोह उसी वक़्त सवारी में हाजर हो जाती है!तब उस से पूछ लिया जाता है के उसे क्या चाहिए और कहा से आई है किस ने भेजा है आदि आदि और फिर उसे और बताशा दिया जाता है जिस से वोह शांत हो चले जाती है इस तरह बहुत वार परखा गया है! यह बहुत ही आसान साधना है भूत प्रेत भागने की और अगर देवता की क्रोपी भी हो वोह भी बता देते है के उन्हे क्या चाहिए इस का प्रयोग सिर्फ अनुभवी व्यक्ति ही करे इसका एक अलग विधान है के कैसे करना है !इस साधना को होली और फिर आने वाले ग्रहण में करे जितनी वार की जाती है इसकी ताकत बढ़ती है ! 4 जदी इसे अनुष्ठान रूप में स्वा लाख जप लिया जाए तो व्यक्ति हवा में से मन चाहा भोजन प्राप्त कर सकता है जब अनुष्ठान के रूप में की जाती है तो साधना समाप्ती पे दो आदमी प्रकट होते है जिन के हाथो में वाजे होते है जब वोह दिख जाए तो सवाल जबाब कर लेना चाहिए उस के बाद वोह शून्य में से पदार्थ प्राप्त करा देते है! हमारे संत बताते थे के इस से स्वर्ग तक की चीजे भी प्राप्त कर सकते है और हर प्रकार का स्वादिष्ट भोजन भी क्यी साधू लोग इसी के बल पे जंगल में बैठे वढ़िया भोजन प्राप्त कर लेते है ! इसका अनुष्ठान 40 दिन में सवा लाख मंत्र जप करे !अगर किसी कारण वश पहली वार सफलता न मिले तो घबराए न दुयारा करे यह अनुभूत है ! इस साधना के भूत भविष्य दर्शन की एक बेजोड़ साधना है! इस का साधक कभी भूत प्रेत के चक्र में नहीं फसता और अपनी व अपने सभी साथियो की सुरक्षा कर लेता है !इस से किसी के भी मन की बात जान सकते है और उस अपने अनुकूल बना सकते है ! और यह साधना घर से गए व्यक्ति का पता कुश ही मिंटो में लगा लेती है ! कुश ही दिन करने से इस साधना की दिव्य्य्ता का स्व पता चल जाता है ! विधि – 1 इस साधना को सफ़ेद वस्त्र धारण कर करे ! 2 आसान सफ़ेद हो ! 3 माला सफ़ेद हकीक की ले ! 4 दिशा उतर रहे ! 5 अगर होली या ग्रहण पे कर रहे है तो 11 माला कर ले ! मगर इस से पूर्ण लाभ नहीं मिलेगे सिर्फ आने वाले समय के वारे स्वपन में जानकारी मिल जाएगी और किसी प्रश्न का उतर पता लगाया जा सकता है ! 6 अगर इसे अनुष्ठान के रूप में करते है जो उपर वाले सभी लाभ मिल जाते है 7 आसन पे बैठ जाए पहले गुरु पूजन और गणेश पूजन कर फिर शिव आज्ञा और अपने सहमने एक कागज पे थोरे चावल चीनी और घी जो की गऊ का हो रख ले कागज पे बस थोरा थोरा ही डाले और मंत्र जप पूर्ण होने पर उसे किसी चोराहे पे छोड़ दे और घर आके मुह हाथ दो ले इस तरह यह साधना सिद्ध हो जाती है !अगर सवा लाख कर रहे है तो यह स्मगरी रोज भी ले सकते है और पहले जा अंतिम दिन भी ले सकते है जैसी आपकी ईशा कर ले मगर इस स्मगरी को बिना रखे साधना न करे नहीं तो शरीर मिटी के समान बेजान सा लगता है जब तक आप यह पुजा नहीं रखते ! 8 जब किसी के घर जा रहे है अगर कोई बुलाने आया है के हमारा घर देखो क्या हुया है तो इस मंत्र से कुश बतासे पढ़ कर छत पे डाल दे फिर जाए और जा 7 बतासे ले उन्हे पढ़ कर उन में से चार छत पे डाल दे बाकी तीन साथ ले जाए और रोगी को एक एक करके दे देने से वोह ठीक हो जाता है जा उस पे अगर कुश होगा तो सिर या कर बोल देगा! 9 साधना काल में शुद्ध घी का दीपक जलता रहना चाहिए और अगरवती आदि लगा दे ! 10 साधना काल में ब्रह्मचारेय का पालन अनिवार्य है !साबर मंत्र --- ॐ नमो परमात्मा मामन शरीर पई पई कुरु कुरु सवाहा !!

लक्षमी यक्षणी साधना


लक्ष्मी यक्षणी कुबेर ने धन पूर्ति के लिए जेबी महा लक्ष्मी की साधना की तो महा लक्ष्मी ने पर्सन हो कर वर मांगने को कहा तो श्री कुबेर जी ने उन्हे अपने लोक अल्का पूरी में निवास करने को कहा तो लक्ष्मी जी ने व्हा यक्षणी रूप में निवास किया और तभी से वहाँ धन की स्दह पूर्ति होती रहती है ! हर एक चाहता है उस के पास सभी सुख हो और उसे कभी किसी का मोहताज न होना पड़े जीवन में हर क्षेत्र में उच्ता मिले शरीर भी सोन्द्र्यवान हो और धन की भी प्रचुर अवस्ता में प्राप्ति हो ! इस के लिए यक्षणी साधनाए काफी महत्व पूर्ण मानी जाती है ! और उनसे भी उत्म यह है के ऐसी यक्षणी साधना हो जो जल्द सीध हो और जो सभी मनोरथ पूरे करे ! यह लक्ष्मी यक्षणी की साधना है इस एक साधना को करने से 108 यक्षणिए सिद्ध हो जाती ! और साधक की हर ईछा पूर्ण करती है ! इस साधना का विधान जटिल है फिर भी उसे आसान तरीके से दे रहा हु ! एक कटोरी में चावल संदूर चन्दन और कपूर मिश्रत कर ले और लक्ष्मी के 108 नाम से नमा लगा कर पूजन करे और लक्ष्मी के 108 नाम आप किसी भी लक्ष्मी पूजन की बूक में देख सकते है ! सुंगधित तेल का दिया लगा दे एक पात्र में कुश उपले जला के उस में गूगल और लोहवान धुखा दे सुगधित अगरवाती भी लगाई जा सकती है ! लाल कनेर से पूजन करे ! और गुरु मंत्र का एक माला जप कर के लक्ष्मी यक्षणी मंत्र का 101 माला जप करे यह कर्म 14 दिन करना है ! और साधना पूरी होने पे कनेर के फूल और घी से हवन करना है 10000 मंत्रो से ! इस प्रकार यह साधना सिद्ध हो जाती है और साधक को रसयान सिधी प्रदान करती है ! इस से साधक के जीवन में कभी धन की कमी नहीं आती जैसे चाहे जितना भी खर्चे धन घर में आता ही रेहता है इस के लिए कुबेर यंत्र और श्री यंत्र का पूजन करे और कमल गट्टे की माला जा लाल चन्दन की माला का उपयोग करे ! दिशा उतर और वस्त्र पीले धारण करे ! हवन के बाद घर में बनी खीर जा मिष्ठान का भोग लगाए ! यह साधना सोमवार स्वाति नक्षत्र से शुरू करे ! मंत्र — ॐ लक्ष्मी वं श्रीं कमलधारणी हंसह सवाहा !!

पाताल क्रिया साधना


इस साधना कि कई अनुभूतिया है,और साधना भि एक दिन कि है.कई येसे रोग या बीमारिया है जिनका निवारण नहीं हो पाता ,और दवाईया भि काम नहीं करती ,येसे समय मे यह प्रयोग अति आवश्यक है.यह प्रयोग आज तक अपनी कसौटी पर हमेशा से ही खरा उतरा है .
प्रयोग सामग्री :-
एक मट्टी कि कुल्हड़ (मटका) छोटासा,सरसों का तेल ,काले तिल,सिंदूर,काला कपडा .
प्रयोग विधि :-
शनिवार के दिन श्याम को ४ या ४:३० बजे स्नान करके साधना मे प्रयुक्त हो जाये,सामने गुरुचित्र हो ,गुरुपूजन संपन्न कीजिये और गुरुमंत्र कि कम से कम ५ माला अनिवार्य है.गुरूजी के समक्ष अपनी रोग बाधा कि मुक्ति कि लिए प्रार्थना कीजिये.मट्टी कि कुल्हड़ मे सरसों कि तेल को भर दीजिये,उसी तेल मे ८ काले तिल डाल दीजिये.और काले कपडे से कुल्हड़ कि मुह को बंद कर दीजिये.अब ३६ अक्षर वाली बगलामुखी मंत्र कि १ माला जाप कीजिये.और कुल्हड़ के उप्पर थोडा सा सिंदूर डाल दीजिये.और माँ बगलामुखी से भि रोग बाधा मुक्ति कि प्रार्थना कीजिये.और एक माला बगलामुखी रोग बाधा मुक्ति मंत्र कीजिये.
मंत्र :-
|| ओम ह्लीम् श्रीं ह्लीम् रोग बाधा नाशय नाशय फट ||
मंत्र जाप समाप्ति के बाद कुल्हड़ को जमींन गाड दीजिये,गड्डा प्रयोग से पहिले ही खोद के रख दीजिये.और ये प्रयोग किसी और के लिए कर रहे है तो उस बीमार व्यक्ति से कुल्हड़ को स्पर्श करवाते हुये कुल्हड़ को जमींन मे गाड दीजिये.और प्रार्थना भि बीमार व्यक्ति के लिए ही करनी है.चाहे व्यक्ति कोमा मे भि क्यों न हो ७ घंटे के अंदर ही उसे राहत मिलनी शुरू हो जाती है.कुछ परिस्थितियों मे एक शनिवार मे अनुभूतिया कम हो तो यह प्रयोग आगे भि किसी शनिवार कर सकते है.

भैरव साधना


मंत्र-:ॐ नमो भैंरुनाथ, काली का पुत्र! हाजिर होके, तुम मेरा कारज करो तुरत। कमर
बिराज मस्तङ्गा लँगोट, घूँघर-माल। हाथ बिराज डमरु खप्पर त्रिशूल। मस्तक
बिराज तिलक सिन्दूर। शीश बिराज जटा-जूट, गल बिराज नोद जनेऊ। ॐ नमो
भैंरुनाथ, काली का पुत्र ! हाजिर होके तुम मेरा कारज करो तुरत। नित उठ करो
आदेश-आदेश।”
विधिः पञ्चोपचार से पूजन। रविवार से शुरु करके २१ दिन तक मृत्तिका की
मणियों की माला से नित्य अट्ठाइस (२८) जप करे। भोग में गुड़ व तेल का शीरा
तथा उड़द का दही-बड़ा चढ़ाए और पूजा-जप के बाद उसे काले श्वान को खिलाए। यह
प्रयोग किसी अटके हुए कार्य में सफलता प्राप्ति हेतु है।

कालि साधना

“डण्ड
भुज-डण्ड, प्रचण्ड नो खण्ड। प्रगट देवि, तुहि झुण्डन के झुण्ड। खगर दिखा
खप्पर लियां, खड़ी कालका। तागड़दे मस्तङ्ग, तिलक मागरदे मस्तङ्ग। चोला जरी
का, फागड़ दीफू, गले फुल-माल, जय जय जयन्त। जय आदि-शक्ति। जय कालका
खपर-धनी। जय मचकुट छन्दनी देव। जय-जय महिरा, जय मरदिनी। जय-जय चुण्ड-मुण्ड
भण्डासुर-खण्डनी, जय रक्त-बीज बिडाल-बिहण्डनी। जय निशुम्भ को दलनी, जय शिव
राजेश्वरी। अमृत-यज्ञ धागी-धृट, दृवड़ दृवड़नी। बड़ रवि डर-डरनी ॐ ॐ ॐ।।”
विधि - नवरात्रों में प्रतिपदा से नवमी तक घृत का दीपक प्रज्वलित रखते हुए
अगर-बत्ती जलाकर प्रातः-सायं उक्त मन्त्र का ४०-४० जप करे। कम या ज्यादा न
करे। जगदम्बा के दर्शन होते हैं।

सिद्धि वशीकरण मंत्र

“बिस्मिल्लाह
कर बैठिए, बिस्मिल्लाह कर बोल। बिस्मिल्लाह कुञ्जी कुरान की, जो चाहे सो
खोल। धरती माता तू बड़ी, तुझसे बड़ा खुदाय। पीर-पैगम्बर औलिया, सब तुझमें
रहे समाएँ। डाली से डाली झुकी, झुका झुका फूल-से-फूल। नर बन्दे तू क्यों
नहीं झुकता, झुक गए नबी रसूल। गिरा पसीना नूर का, हुआ चमेली फूल।
गुन्द-गुन्स लावने मालिनी पहिरे नबी रसूल।”
विधि- बहते पानी के समीप १०१ दाने की माला से प्रातः सायं २१ माला, ४१ दिन
तक जपे, ४१वें दिन सायं को हलवा प्रसाद में ले आए। मन्त्र के बाद कुछ हलवा
पानी में छोड़ दे और शेष बच्चों में बाँट दे।
जिस पर प्रयोग करना हो, तो मन्त्र को कागज पर केसर-स्याही से लिखे।
‘नर-बन्दे’ के स्थान पर उसका नाम लिखे। मन्त्र को पानी में घोल के साध्य
व्यक्ति को पिलावे, तो वशीकरण होगा।

शक्तिशाली सर्व कार्य मंत्र



मां भगवती काली का मनोकामना पूर्ति मंत्र ! काली के भगतों की मनोकामना इस
मंत्र के प्रभाव से आवश्य ही पूर्ण होती है बस कुछ ही दिन धर्य के साथ हर
रोज शाम को 30 मिनट इस मंत्र का जाप करने से चमत्कारिक लाभ होगा और जीवन मे
कोई भी अभाव नहीं रहेगा ये पक्की बात है। विश्वास ना हो तो आजमा के देखलो .
इसके साथ यदि प्राण प्रतिष्ठित कलियंत्र भी धारण् कर लिया जाये तो बस फिर
कहना ही क्या .
मंत्र
ओम क्रीं काली काली कलकत्ते वाली !
हरिद्वार मे आके डंका बजाओ !धन के भंडार भरो मेरे सब काज करो नाकरो
तो दुहाई !दुहाई राजा राम चन्द्र हनुमान वीर की !

NATI BHOOTNI SADHANA

नदी
तट पर वैठकर एक सप्ताह तक उकत मंत्र का नित्य 10000 कि संख्य मेँ जप करेँ
तथा जप के अन्त मेँ हवन आदि करेँ तो नटी सन्तुष्ट होकर आती है और पत्नी के
रुप मेँ उसकी समस्त आज्ञाऔँ का पालन करती हुई उसे प्रतिदिन 1तोला स्वर्ण
प्रदान करती है। मंत्र:-ॐ हु डं फट् फट् नटी हुं हुं
हुं

15 comments:

  1. Guruji ke charno me sanskar dandwat guruji me aapse dikshit hona chahta hu kripya mera margdarshak bane aapki ashim kripya hogi

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  2. Guruji charan sparsh aur bahut bahut dhanyabad

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  3. बहुत ही अच्छी जानकारी मिली।
    बहुत बहुत साधो वाद।

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  4. Kuch nhi hota aisa. Nhi to India me koi gareeb rahta hi nhi. Or koi kaam bhi nhi karta

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  5. If I do Hanuman sadhana for 11 in what form will hanan appear ? Also explain the procedure for sadhana

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  6. Ye adura vidhan hai pagal bana rha hai sbko
    Iska pura vidhan mantramaharnav me hai 1mahine ki. Sadhana hai !!

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  7. Please 31 dino ki sadhna ka nam batayen jo kamal gatte ki mala se jati hai.

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  8. Bhandaratal yakshini sadhna karna chahta hu apka number dijiye

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  9. Guru ji kripya vayviy sidhi sadhna ki detail me jankari de 🙏🙏🙏

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